हवा का काम है चलना, दीया का काम है जलना
वो अपना काम करती है, वो अपना काम करता है
हाज़िर हूँ...! पुनः उपस्थिति दर्ज हो...
किसी जगह पर दीप जले अरु कहीं अँधेरी रातें हों ।
नहीं दिवाली पूर्ण बनेगी, अगर भेद की बातें हों ।।
ऐसे व्यंजन नहीं चाहिए, हक हो जिसमें औरों का ।
ऐसी नीति महानाशक है, नाश करे जो गैरों का ।।
पटाखों के कानफोड़ धमाकों, फुलझड़ियों की सतरंगी झिलमिलाती छटाओं, और अंतरतम को मिठास से भर देने वाली मिठाइयों के बीच धन-धान्य के दीप, ज्ञान की मोमबत्तियां, सुख के उजाले और समृद्धि की किरणें इस दिवाली पर रोशन कर दें
सभी पढे लिखे, आगे बढे,अपने जीवन मे
कोई भी वंचित न रहे शिक्षा के अधिकार का
मिटे अन्धकार,आये उजाला जन जन के प्राण मे
करे प्राथना माँ लक्ष्मी से नाम रहे ना अन्धकार का
यदि देखा जाय तो भारत में यही एक मात्र सार्वदेशिक पर्व है उसके मनाने के कारण चाहे प्रत्येक क्षेत्र के लिए कुछ अलग प्रकार के रहे हों, परंतु इस विशिष्ट पर्व के साथ आने वाले त्योहार कुछ निश्चित क्षेत्रों तक सीमित हो सकते हैं। इन सभी के बारे में विशिष्ट जानकारी प्राप्त करने के लिए आप इस लेख का गहन अध्ययन कर सकते हैं। पाश्चात्य विद्वानों का कथन है कि जिन देशों में एवं जातियों में जितने अधिक उत्सव मनायें जाते हैं, वे देश तथा जातियां उतने ही समृद्ध एवं उन्नत समझे जाते हैं।
पर्वत में, नदियों, नहरों में,
प्यारी प्यारी सी लहरों में,
तैरते दीप कैसे भग-भग!
जगमग जगमग जगमग जगमग!
राजा के घर, कंगले के घर,
हैं वही दीप सुंदर सुंदर!
असाधारण अंक
जवाब देंहटाएंसदा की तरह
सादर नमन
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंशुभ दीपावली .. सबके जीवन में शुभ साकारात्मक प्रकाश हो .
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंवाह लाजबाव प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंVery good information ,about fitter course thanks
जवाब देंहटाएंvery informative
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