निवेदन।


फ़ॉलोअर

शुक्रवार, 14 अक्तूबर 2022

3546.....आस्था और चाँद

शुक्रवारीय अंक में
आपसभी का स्नेहिल अभिवादन।
---------
कल करवा चौथ था पत्नियों के द्वारा
किये जाने वाले व्रत और पूजन से ज्यादा,
उनके प्रेमपूर्ण भावनाओं को परे रखकर उन्हें
मिलने वाले उपहारों की चर्चा रही।
तरह -तरह के तर्क और व्यंग पढ़ने सुनने को मिले
 तो मन सोचने को विवश हो गया कि
 उपहार की 
आवश्यकता क्यों?
स्नेह, दुलार,प्रेम या आभार प्रकट करने के लिए
उपहारों का विशेष महत्व रहा है।
किसी को खुश करने के लिए या सामाजिक 
संबंधों की गतिशीलता को बनाये रखने के लिए
उपहारों को सशक्त माध्यम माना जाता है।
अक्सर यह जुमला सुनने को मिलता है
उपहार की कीमत से ज्यादा
उपहार देने वाले की भावना का मायने रखती है
पर प्रश्न है क्या सचमुच?
दरअसल मुझे लगता है
हम कितने भी आदर्शवादी बातें बना लें
परंतु अंतर्मन के किसी कोने में
 हमारी अपेक्षाओं ने अपनी जड़ें
 इस कदर जमाये रखा है कि न चाहते हुये भी
उपहारों का मोल देने वाले की भावना पर
हावी हो ही जाता है।
परंतु सचमुच उत्तर जरूर लिखिएगा
उपहारों की आवश्यकता क्यों?
-----
करवा चौथ का उत्साह चरम पर था 
कुछ विचारणीय तो कुछ रस में डूबे
विचारों का आस्वाद करने को मिली
आप भी पढ़िए-

बिना प्रेम के 
परंपरा के लिए 
न करो व्रत । 

चाँद को चाँद निहारे
प्रिय संग प्रिया प्रेम विहारे

शशि धवल निहारे अंबर से

है नेह संजोये भर अँजुरी
शशि धवल निहारे अम्बर में
सौभाग्य अटल अनुराग गुँथे

हित प्रेम सजाए निज उर में



ये जलवे फिज़ा के ये शब की गहनाई
मंज़र वही पर रौनक़े-महफ़िल नहीं है
हसी ग़ुंचे वही सबा पेशे गुलशन वही है
मगर जलवा-ए-नुरेज-अज़ल वो नहीं है ,



अपनी उलझनों पर तुम
चटकनियाँ चढ़ा के बैठे हो,
तुम्हारे हाथ मे कुछ नही
ये किस कंठ से कहते हो!

और.चलते-चलते एक मर्मस्पर्शी कहानी


भैया को मोटरसाइकिल सीखना है। आपने अपने दोस्त से लेकर उसे बाइक चलाना सिखाया फिर खुद का स्कूटर बेचकर बाइक खरीद ली। जब मैंने स्कूटर सीखने की बात की आप हंसकर टाल गए यह कहकर कि हाथ पैर टूट गए तो कौन तुझसे शादी करेगा? सारी जिंदगी तुझे बिठा कर खिलाना पड़ेगा। आपके लिए तो यह हँसी की बात थी पापा लेकिन मुझे गहरे तक चुभ गई। आपने हँसी हँसी में बता दिया कि मैं पराई हूँ और आपके घर में मेरे लिए पूरी जिंदगी के लिए जगह नहीं है। 

-------

आज के लिए इतना ही 
कल का विशेष अंक लेकर
आ रही है प्रिय विभा दी।
-----

9 टिप्‍पणियां:

  1. ये जलवे फिज़ा के ये शब की गहनाई
    मंज़र वही पर रौनक़े-महफ़िल नहीं है
    शानगार अंक
    आभार
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. यूँ तो उपहारों की आवश्यकता नहीं होती , लेकिन उपहार अपने मन के भावों का प्रेषण भी होता है । लेकिन आज कल एक सीधे सादे त्योहार को बाज़ार वाद में शामिल कर लिया गया है उसे देख आश्चर्य ही होता है । DDLJ ने करवाचौथ को न जाने कौन से मुकाम पर पहुँचा दिया है । हमारे यहाँ तो चाँद की पूजा होती है पति की नहीं । हाँ उनके लिए प्रार्थना होती है । आज कल तो ये त्योहार मीडिया पर किस कदर छाया रहता है ।
    दिखावे से बच कर उल्लास से त्योहार मनाने में सार्थकता है ,वरना तो बेवकूफ बनाने वाले बहुत हैं बस बनने वाले होने चाहिए ।
    सार्थक भूमिका के साथ उम्दा लिंक्स का चयन किया है । आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  3. प्रिय श्वेता, उपहारों के आदान-प्रदान की परम्परा पुरानी है पर मुझे लगता है कि प्रेम में उपहारों की जरुरत ज़रा भी नहीं है पर जरूरतें ना पैदा की जाएँ तो बाज़ार का विस्तार समाप्त हो जाता है।और सच कहा तुमने अवचेतन मन के किसी कोने में अपेक्षाओं के घर होते ही हैं।आम वर्ग में बढ़ाती संपन्नता ने भी उपहारों देने की भावनाओं को गति दी है।आज ये मानसिकता व्यक्ति और समाज में जड़ें पसार रही है कि उपहार नहीं तो प्यार नहीं जो चिन्ता का विषय है ।खैर,इस विषय को भूमिका में विमर्श के लिए रखने के लिए शुक्रिया।इसी बहाने मुझे भी अपनी बात कहने का मौका मिला।मर्मस्पर्शी कथा और भाव काव्य रचनाओं के साथ सजे सुन्दर लिंक संयोजन के लिए बधाई और शुभकामनाएं।सभी रचनाकार भी बधाई के पात्र हैं।♥️🌹

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. श्वेता जी सुंदर, शानदार भूमिका आपके संकलन में चार चांद लगा देती है, करवा चौथ पर सुंदर सामयिक प्रस्तुति । पठनीय और सार्थक रचनाएँ। मेरी रचना को शामिल करने के लिए बहुत बहुत आभार।
      सामयिक और विचारणीय प्रश्न उठाया है आपने।
      मेरे हिसाब से हमारे त्यौहार मूल्य,संस्कृति और परंपरा का का संवर्धन के लिए बने हैं,परंतु आज के समय में हर दूसरा इंसान दिखावा ज्यादा और परंपरा कम निभा रहा है, त्योहार के नाम पर गिफ्ट और बाहर जाने का चलन है, हमारे यहां तो करवा पे अब बाहर ही भोजन करने की परंपरा का जन्म हो रहा है ।
      कुछ बदलाव का स्वागत होना चाहिए पर दिखावे में गिफ्ट देने की परंपरा सही नहीं, जो करें वो मन से करना चाहिए ।
      ...नित नवीन पर्व आप सबके जीवन में आते रहें मेरी शुभकामनाएं🌹🌹❤️❤️

      हटाएं
  4. मेरी अभिव्यक्ति को इस अद्भुत प्लेटफॉर्म पर स्थान देने हेतु ब्लॉग प्रबधंन से संबंधित सभी आदरणीयों एवं सभी सुधि पाठकजनों का भी हार्दिक आभार।

    जवाब देंहटाएं

आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें

आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।

टिप्पणीकारों से निवेदन

1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।




Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...