“इस माह का भी आख़री रविवार और हमारे इस बार के परदेश प्रवास के लिए भी आख़री रविवार, कवयित्री ने प्रस्ताव रखा है, उस दिन हमलोग एक आयोजन में चलते हैं! वे अमेरिका में विद्या धाम चलाती हैं यह हमारे लिए हर्ष और गर्व की बात है…!” माँ, बेटे को सन्देश देती है।
करोना काल से ही वर्क फ्रॉम होम के लिए माइक्रोसॉफ्ट टीम्स आल रांउडर ऐप्स में शामिल हैं जो ऑडियो-वीडियो कम्यूनिकेशन का बेहतरीन जरिया है जिसके कारण अधिकतर कार्यदिवस को माँ-बेटे की बातचीत व्हाट्सऐप्प चैट के ज़रिए हो पाती है।
“बेहद खेद है माँ! उस दिन मेरा, मेरे बॉस के साथ बाहर जाने का प्रोग्राम है! स्थगित नहीं कर सकता क्योंकि एक विद्यालय में प्रवक्ता का दायित्व भी लिया हूँ! तुम्हें सूचित करने ही वाला था।” बेटे का संदेश आता है।
“अरे! यह तो बेहद खुशी की बात है। तुम बिना किसी उलझन में पड़े अपने दायित्व को निभाओ! मैं आयोजन का मना कर देती हूँ!” माँ पुनः संदेश देती है और कवयित्री को फोन करती है-
“…”
“बेहद खेद के साथ, रविवार की भेंट गोष्ठी को स्थगित करना पड़ रहा है!”
“…”
“चूँकि बिना बेटे के सहारे के हमलोग यहाँ अपाहिज हो जाते हैं! हमें डॉलर समझ में नहीं आता है, नेट पैक समाप्त होगा…”
“…”
“आपसे मिलना, हमारे लिए भी अत्यंत खुशी की बात होती। दरअसल मेरे पति बिना बेटे के कहीं जाने के लिए तैयार नहीं होते हैं।”
“…”
“हाँ उनकी उम्र ज़्यादा नहीं! बीमारी का उम्र से कोई सरोकार भी नहीं होता…! उन्हें गिर जाने का भय बना रहता है…!”
“…”
“उनका मस्तिष्क उनके अंगों को निर्देश देने में विफल होता है…! हमलोग ऑन लाइन वर्चुअल गोष्ठी आयोजित कर सकते हैं। समय ने साथ दिया तो अगली बार आने पर भेंट होगी!”
“…”
“आह्ह! अब आपकी बात को कैसे टाला जा सकता है! इस अव्यवहारिक काल में कहाँ किसी को इतनी फुरसत है कि अपने स्वार्थ के वर्तुल से बाहर निकल सके..! जब आप सभी समस्याओं के हल लेकर आयेंगी तो हम तितली ढूँढने अवश्य निकलेंगे!
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