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गुरुवार, 4 दिसंबर 2025

4591 ..डाल से टूट कर बिछड़ते हुए पत्तों को देखा है

 सादर अभिवादन

6 टिप्‍पणियां:

  1. सुंदर प्रस्तुति। आभार।

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  2. बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति,सभी रचनाएं उत्तम, रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं मेरी रचना को स्थान देने के लिए सहृदय आभार आदरणीय सादर

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  3. दिग्विजय जी, सम्मिलित कर मान देने हेतु अनेकानेक धन्यवाद 🙏

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  4. इस प्रस्तुति के शीर्षक ने मुझे यहाँ खींचा। बेहतरीन रचना।

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