।। प्रातः वंदन।।
वरना तो जिंदगी कोई खिल्ली होगी ।
अपने हुक्मरानों से सवाल नहीं करती
कौम यकीनन वो बड़ी निठल्ली होगी ।
❄️
चलिए, बाजार तक चलें
जीवन के दोराहे पर
लक्ष्य तक मुश्किल पहुंचना
आंख में अंबुद बसा है
कैसे संभव है किलकना..
❄️
दिन भर ब्लॉगों पर लिखी पढ़ी जा रही 5 श्रेष्ठ रचनाओं का संगम[5 लिंकों का आनंद] ब्लॉग पर आप का ह्रदयतल से स्वागत एवं अभिनन्दन...
।। प्रातः वंदन।।
वरना तो जिंदगी कोई खिल्ली होगी ।
अपने हुक्मरानों से सवाल नहीं करती
कौम यकीनन वो बड़ी निठल्ली होगी ।
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लक्ष्य तक मुश्किल पहुंचना
आंख में अंबुद बसा है
कैसे संभव है किलकना..
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बेहतरीन अंक
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
बढ़िया प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुंदर हलचल … आभार मेरी ग़ज़ल को जगह देने के लिए - दिगम्बर नासवा
जवाब देंहटाएंवाह!सुन्दर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं मेरी रचना को स्थान देने के लिए सहृदय आभार सखी सादर
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं मेरी रचना को स्थान देने के लिए सहृदय आभार सखी सादर
जवाब देंहटाएंआदरणीय ,
जवाब देंहटाएंमेरी रचना "एक #कटोरा #पानी , "मुट्ठी भर #अनाज ," को आज के इस बहुमूल्य मंच में स्थान देने के लिए बहुत धन्यवाद ।
सभी सम्मिलित रचनाएं बहुत ही उम्दा है , सभी आदरणीय को बहुत बधाइयां ।
सादर ।
सुंदर अंक
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