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शनिवार, 13 मई 2023

3756... बाँझ

   हाज़िर हूँ...! पुनः उपस्थिति दर्ज हो...   

मातृ दिवस के ठीक एक दिन पहले अटपटा लग सकता इस बाँझ शब्द पर प्रस्तुति । बाँझ क्या जाने प्रसव पीड़ा••• क्या सच में?

बाँझ

कब तक ढोए जाए इन सांसों के बोझ को, जब तक कि चिता न जाना हो....काश वो जीने का बोझ ढोने कि बजाय मारना सिख लेती, अपने लिए जीना आपने होने पर को जान लेती, तो कितना जीवन धन्‍य हो जाता....अम्‍मा ने एक गहरी सांस ले और लिहाफ में मुहँ ढंक कर आंखें बंद कर ली। यही सोचते हुए कि ये उसकी आखिरी रात होगी, पर ये क्रम सालों से यू ही चल रहा है। मानों मृत्‍यु ने भी अम्‍मा से मुख मोड़ लिए है और उसे भूल गई है।

बाँझ

उसकी अन्दरूनी बेचैनी के सन्दर्भों की विविधता ही नहीं, बल्कि उसकी रचनाकालीन मनोदशा की तीव्रता या मन्दता की पहचान कराती, उसकी इन कविताओं में, उसके दुख की कई रंगतें हैं। पारिवारिक स्मृतियों के बीच कहीं उसका अकेलापन है, धीरे-धीरे मन को लगातार मथती, उम्मीद या नाउम्मीदी की भाषा है, तो कहीं बार-बार अन्तर्जीवन से बाहर के कठिन संघर्ष की ओर उन्मुख होती एक बेचैन पुकार सी आवाज़, जो उसकी सारी लिखत में असम्भव निरन्तरता के साथ, हमेशा ही सक्रिय रही है।

बाँझ

निर्वृति के दुपहरी

क्षणों में.— फिर

नित्य विस्मृति!— दुबारा

एक किराये के घर में

आ बसने का

नया उत्सव मनाते समय;

किसी कारण नई एक

फलों लदे पौधे की छाया बनाते समय

बाँझ

हमारी आत्माएं,

उनके पालन-पोषण पर निर्भर,

अब सिकुड़ गया, कुम्हला गया।

हमारे दिमाग, 

उनकी चमक से गठित और सूचित,

दूर होना।

हम इतने कम नहीं हैं 

अंधेरे की अकथनीय अज्ञानता,

मन चंगा तो...

ब्राह्मण जब गंगा का दिया कंगन लेकर वापस लौट रहा था, तब उसके मन में विचार आया कि रैदास को कैसे पता चलेगा कि गंगा ने बदले में कंगन दिया है, मैं इस कंगन को राजा को दे देता हूं, जिसके बदले मुझे उपहार मिलेंगे। उसने राजा को कंगन दिया, बदले में उपहार लेकर घर चला गया। जब राजा ने वो कंगन रानी को दिया तो रानी खुश हो गई और बोली मुझे ऐसा ही एक और कंगन दूसरे हाथ के लिए चाहिए।

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पुनः भेंट होगी...
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8 टिप्‍पणियां:

  1. शानदार अंक
    अंतिम रचना का वीडियो भी देखी थी काफी पहले,
    उस गांव का नाम अब संत रविदास नगर कर दिया था राजा ने
    सादर वन्दे

    जवाब देंहटाएं
  2. हमने पहली बार यह जाना। कहां है संत रविदास नगर, गंगा किनारे ही होगा फिर😀🙏

    जवाब देंहटाएं
  3. जी दी,
    बाँझ कहानी हृदयस्पर्शी बाकी सभी रचनाएँ भी बहुत अच्छी लगी।
    हर बार एक नये विचार के साथ प्रस्तुति सजाना सचमुच सराहनीय है दी।
    सादर स्नेह।

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत बढियां प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं

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