शीर्षक पंक्ति :आदरणीय ओंकार जी की रचना से।
सादर अभिवादन।
मंगलवारीयअंक लेकर हाज़िर हूँ।
आइए पढ़ते हैं आज की पसंदीदा रचनाएँ -
मैं टकटकी बांधे देखता रहा उधर,
फिर भी चली गई भैंस पानी में.
न झुकाऒ तुम निगाहे कहीं रात ढल न जाये .....
एक लम्बी अवधि के बाद फिर से प्रोग्राम बना था घूमने का और वह भी मेरी मनपसंद जगह का जिसे देखने की साध वर्षों से अपने मन में संजोये थी और जहाँ की प्राकृतिक सुन्दरता के बारे में पढ़ सुन कर उसे साक्षात देखने की उत्सुकता अपने चरम पर थी ! आप समझ तो गए ही होंगे यह स्थान है उत्तर पूर्वी भारत का बेहद खूबसूरत स्थान मेघालय !
बहुत सुंदर अंक
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
बढ़िया लिंक्स का चयन
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंमुझे शामिल करने हेतु असंख्य आभार, उन तमाम गुणी जनों का भी ह्रदय तल से आभार जो मेरे ब्लॉग तक पहुँच कर मुझे अपना आशीर्वाद दिया करते हैं, मैं कोशिश करता हूँ कि आप सभी विद्वानों की रचनाएँ पढ़ सकूँ नमन सह।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंएक लम्बे अरसे के बाद अपनी पोस्ट यहाँ देख कर बहुत सुखद आश्चर्य हुआ ! आपका बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार रवीन्द्र जी ! सादर वन्दे !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर ऊ
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