दिन भर ब्लॉगों पर लिखी पढ़ी जा रही 5 श्रेष्ठ रचनाओं का संगम[5 लिंकों का आनंद] ब्लॉग पर आप का ह्रदयतल से स्वागत एवं अभिनन्दन...
निवेदन।
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फ़ॉलोअर
मंगलवार, 31 मई 2022
3410 ...व्यथा का तम और कितना सघन होगा?
सोमवार, 30 मई 2022
3409...../ वक़्त का जवाब ...
नमस्कार ! आपकी ख़िदमत में हाज़िर हूँ , आखिर आज सोमवार है न । आज आप सबके लिए एक सूचना ले कर आई हूँ । रविन्द्र प्रभात जी एक जाने माने ब्लॉगर रहे हैं । उन्होंने परिकल्पना की शुरुआत की थी । प्रति वर्ष किसी न किसी ब्लॉगर को अलग अलग विधा में अलग अलग पुरस्कार भी मिलते रहे हैं । अब उनकी योजना है कि एक परिकल्पना कोश बनाया जाय जिसमे ब्लॉग और ब्लॉगर्स के नाम दर्ज़ हों , यानि कि ऐसा कोश जहाँ सभी ब्लॉगर्स का अता- पता मिल जाये । रश्मि प्रभाजी को ब्लॉग्स के लिंक इकट्ठे करने का काम सौंपा गया है । उनकी तरफ से ये सूचना मैं यहाँ लगा रही हूँ -
आख़िर क्यों ?
ज़िंदगी से करती तक़रार
नहीं वह लाचार,
समाज के साथ चलने का,
हुनर तरासती शमशीर रही वह |
बहुत घमंड है न सच के अमर होने का तुम्हें?
तुम देखना मैं उसे कुछ ऐसा कर जाऊँगा
कि वो ज़िंदा तो रहेगा पर कर कुछ नहीं पाएगा
पंगु कर जाऊँगा मैं उसे ऐसा
कि अपने अस्तित्व को वो समझ ही नहीं पाएगा |
यहाँ तो झूठ ही सच को धमका रहा ....... यूँ ज़िन्दगी में न जाने कब और कौन कौन सी घटनाएँ घटित होती हैं जो धमकियों से कम नहीं होतीं ...... ऐसे ही ब्लॉगस पर घूमते घूमते एक पोस्ट मिली थी ......... जिसे मैंने सहेज लिया था आप सबको पढवाने के लिए ...... पोस्ट थोड़ी लम्बी होते हुए भी ज़िन्दगी को समझने के लिए ज़रूरी है ........ लेखन इतना कमाल का है कि आप बीच में तो छोड़ ही नहीं सकते ...... अब इसके लेखक कौन हैं आप उनके ब्लॉग पर ही जा कर देखें ....
स्कैच -- तीन मित्र तीन बात
सुश्री अम्बर जैदी ने अपने खुले मंच पर “मंदिर-मस्ज़िद विवाद के समाधान” पर लोगों के विचारों का आह्वान किया है। भारत के गिने-चुने राष्ट्रवादी मुसलमानों में सौम्य स्वभाव वाली अम्बर जैदी का अपना एक अलग स्थान है। बहुत से लोग उन्हें परिवर्तनकारी मानते हैं जो भारत के लिए आवश्यक है।
धार्मिक-स्थलों का विवाद एक वैश्विक समस्या है। येरुशलम को लेकर यहूदियों और मुसलमानों में एक बार फिर ठन गयी है। हमें धार्मिक स्थलों के स्पिरिचुअल या रिलीजियस नहीं, बल्कि सांसारिक स्वरूप पर विचार करना होगा।
इतनी बड़ी समस्या का यदि इतनी सरलता से समाधान हो जाए तो बात ही क्या ? ..... अब आप लोग दिए हुए लिंक्स पर पहुँच मेरी मेहनत को सफल करें ..... और यदि कोई सुझाव हो तो अवश्य दें ...... स्वागत है .....
मिलते हैं फिर ......... अगले सोमवार को .... तब तक के लिए नमस्कार .....
संगीता स्वरुप
रविवार, 29 मई 2022
3408....तुमने मुझको जन्म दिया "माँ" इस मिट्टी ने पाला है।
शनिवार, 28 मई 2022
3407... वर्तिका
बुकर पुरस्कार की स्थापना सन् 1969 में इंगलैंड की बुकर मैकोनल कंपनी द्वारा की गई थी। इसमें 60 हज़ार पाउण्ड की राशि विजेता लेखक को दी जाती है।
2008 वर्ष का पुरस्कार भारतीय लेखक अरविन्द अडिग को दिया गया था।
2022 का हिन्दी की जानी मानी लेखिका *गीतांजलि श्री* को इंटरनेशनल *बुकर* प्राइज़ मिला है।
वो हिन्दी की *पहली* लेखिका हैं जिन्हें ये पुरस्कार मिला है। ये पुरस्कार उनके उपन्यास ‘रेत समाधि‘ के *अंग्रेज़ी* अनुवाद ‘Tomb of sand’ के लिये मिला है। अनुवाद *डेज़ी रॉकवेल* ने किया है।
हाज़िर हूँ...! पुनः उपस्थिति दर्ज हो...
शुक्रवार, 27 मई 2022
3406.....ज़िन्दगी की हु-तू-तू
गुरुवार, 26 मई 2022
3405...ऊँची उड़ान है ध्येय मेरा...
शीर्षक पंक्ति: आदरणीया आशा लता सक्सेना जी की रचना से।
सादर अभिवादन।
गुरुवारीय अंक में मेरी पसंदीदा पाँच रचनाएँ आपकी नज़र-
ऊँची उड़ान है ध्येय मेरा
उसमें सफल
रहूँ
हार का मुँह न देखूँ
बस रहा यही
अरमान मेरा।
बूंद
तृप्त कर
देती है अतृप्त मन को
सींच देती है
अपनत्व का
बगीचा
बूंद
तुम्हारे
कारण ही
धरती पर
जिंदा है हरियाली
जिंदा है जीवन---
स्मृति इक जंजीर है
विकल्प इक आवरण
रिक्त हुआ जब घट बासी जल
से
तब भर देता है अस्तित्व
अमी प्रेम का सुमधुर
एक घूँट पर्याप्त है
वह मुस्कुराते हुए मुझे धन्यवाद देकर चले गए।
*****
फिर मिलेंगे
रवीन्द्र सिंह यादव
बुधवार, 25 मई 2022
3404...क्यों रूठ गये सपने...
।।प्रातः वंदन ।।
"हमने अपने इष्ट बना डाले हैं चिन्ह चुनावों के
ऐसी आपा धापी जागी सिंहासन को पाने की
मजहब पगडण्डी कर डाली राजमहल में जाने की
जो पूजा के फूल बेच दे खुले आम बाजारों में
मैं ऐसे ठेकेदारों के नाम बताने आया हूँ |
घायल भारत माता की तस्वीर दिखाने लाया हूँ"
हरिओम पंवार
हिंदी साहित्य के वीर रस के सुप्रसिद्ध कवि आ० हरिओम पंवार जी के 71 वीं जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ..
चलिए प्रस्तुतिकरण के क्रम को बढाते हुए ..✍️
टूटे सपने
स्नेह की डोर (लघुकथा)
साथ - साथ गिरते - दौड़ते, चौकड़ी भरते दोनों पिछले दो फागुन से एक दूसरे के जीवन मेंअपने स्नेह और अपनापन का रंग भर रहे थे। यह देख-महसूस कर उसका बाल मन अघा जाता कि पिता ने भी उन दोनों पर अपने प्राण निछावर कर दिए थे। ..
🔶🔶
कुछ हो अनूठा कुछ नवल हो
🔶🔶
अतरंगी है तेरा इश्क ,
ज़िस्मानी से रूहानी ,
काले से सफ़ेद तक ,
हर रंग में सजा है तेरा इश्क ...
हाँ, सतरंगी है तेरा इश्क |
कभी हरे रंग में भीग
🔶🔶
लाखों क़िस्म के दायरे हमने बनाए हैं
लाखों क़िस्म के दायरे हमने बनाए हैं
अपने उसूल-औ-ख़्वाब के द्वीप बनाए हैं
नग़मे भी चाँदनी के, कुर्बत भी चाँद की बस चाँद, चाँद, चाँद ही हमको लुभाएँ है
।।इति शम।।
धन्यवाद
पम्मी सिंह 'तृप्ति'
मंगलवार, 24 मई 2022
3403 ...वक़्त के संग कुछ तज़ुर्बे ज़िन्दगी में आये
रचनाएं देखिए
टें बोलो न! दादी माँ प्लीज टें बोलो न!''
सादर
सोमवार, 23 मई 2022
3402 ....... / हर पल फूलों सा खिल महके
नमस्कार ! आज वार के अनुसार बहुत दिनों बाद सोमवार की प्रस्तुति लगा रही हूँ . उम्मीद है इतने दिनों में भूले तो न होंगे ? वैसे याद दिलाने के लिए पिछले सप्ताह ही एक प्रस्तुति लगायी थी ...... वैसे कितना अपनापन सा मिलता है न जब कोई ये कहे कि आप हमें भूले तो न होंगे ........ खैर ...... हम तो इसी उम्मीद में गुज़ार देते हैं वक़्त कि ----
रहें , न रहें इस जहाँ में हम
करोगे अक्सर हमें याद तुम |
ब्लॉगिंग का जहाँ ज़िक्र होगा ,
उनमें एक नाम मेरा भी होगा ..|
एक बात बताइए कि यदि कोई आपसे आपका परिचय पूछे तो क्या जवाब होगा आपका ? नाम , काम , धाम , घर गृहस्थी आदि या ज्यादा से ज्यादा अपनी पढाई और उम्र बता कर सोच लेंगे की परिचय का आदान प्रदान हुआ ..... लेकिन कभी कभी इतना गूढ़ , और बिंदु बिंदु छूता हुआ , अपने आप को हर कसौटी पर उतारते हुए जो परिचय मिले तो बस उसमें डूब कर ही जाना जा सकता है ........ बानगी देखिये ...
'अमृता तन्मय' : अपनी अन्तर्दृष्टि में
कल रात
दिखा कुरुक्षेत्र का शमशान
कर्ण की रूह
अश्रुयुक्त आँखों से
धंसे पहिये को निहारती
जूझ रही थी
ह्रदय में उठते प्रश्नों के अविरल बवंडर से ...
- ऐसा क्यूँ . क्यूँ , क्यूँ ???
रश्मि प्रभा जी का लेखन बहुत गहन चिंतन की मांग करता है ....... कोई भी बात या काम अकारण नहीं होता , श्री कृष्ण का यही सन्देश है ..... तो यही मानते हुए कि जो हो रहा है सही है -- बेचैन आत्मा उर्फ़ देवेन्द्र जी भी अपनी बात रख रहे हैं .....
सत्ता
यूं ही #बेपरवाह न छोड़े #चिंगारी को !
गर कहीं कुछ सुलग रहा है ,
तो उसे हवा दो या बुझा दो ।
यूं ही बेपरवाह न छोड़े #चिंगारी को ,
पर उसे उसका सबब बता दो ।
चलिए चिंगारी का तो इलाज हो जाएगा लेकिन जो लोग निराशा के सागर में डूबते -उतरते रहते हैं उनका क्या ? उनके लिए भी एक सार्थक सन्देश है .... मन की वीणा पर एक सुर मुखर हुआ है -----
निराशा को धकेलो।
चारों ओर जब निराशा
के बादल मंडराए
प्रकाश धीमा सा हो
अंधेरा होने को हो
कुछ भी पास न हो
किसी का साथ न हो.
कुसुम जी --- माना कि निराशा को हम धकेल दें लेकिन जो कुछ समाज में हो रहा है क्या उसे भी बदल सकते हैं ..... बराबरी की होड़ में कौन कहाँ पहुँच रहा जरा देखिये इस लघु कथा में ----
तीक्ष्ण दृष्टि
उलझ न जाएँ किसी कशिश में
नयी ऊर्जा खोजें भीतर,
बहती रहे हृदय की धारा
अंतर में ही बसा समुन्दर !