सादर अभिवादन
दिन भर ब्लॉगों पर लिखी पढ़ी जा रही 5 श्रेष्ठ रचनाओं का संगम[5 लिंकों का आनंद] ब्लॉग पर आप का ह्रदयतल से स्वागत एवं अभिनन्दन...
निवेदन।
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फ़ॉलोअर
शनिवार, 30 नवंबर 2024
4323 ... प्रेम का वह मोती सागर में गहरे छिपा है
शुक्रवार, 29 नवंबर 2024
4322 ..कई वर्षों से भारत में भी ब्लेक फ्राइडे को मान्यता दी है
सादर अभिवादन
गुरुवार, 28 नवंबर 2024
4321...यूं सुलगते, बंजर मन के ये घास-पात...
शीर्षक पंक्ति: आदरणीय पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा जी की रचना से।
सादर अभिवादन।
गुरुवारीय अंक में पढ़िए पसंदीदा रचनाएँ-
उसके हरे-हरे पत्ते
हवाओं में मचलते हैं,
उसकी टहनियों पर बैठकर
पंछी चहचहाते हैं।
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जो धरा है वही चाँद
और सभी निरंतर होना चाहते हैं
वह, जो थे
जाना चाहते हैं वहाँ
जहाँ से आये थे!
*****
यूं सुलगते, बंजर मन के ये घास-पात,
उलझते, खुद ही खुद जज्बात,
जगाए रात,
वो करे, यकीं कैसे?
*****
बुधवार, 27 नवंबर 2024
4320..छांव में छिपे रंग..
।।प्रातःवंदन।।
नये-नये विहान में
असीम आस्मान में-
मैं सुबह का गीत हूँ।
मैं गीत की उड़ान हूँ
मैं गीत की उठान हूँ
मैं दर्द का उफ़ान हूँ
मैं उदय का गीत हूँ
मैं विजय का गीत हूँ
सुबह-सुबह का गीत हूँ
मैं सुबह का गीत हूँ..!!
डॉ धर्मवीर भारती
बुधवारिय प्रस्तुतिकरण में शामिल रचना...✍️
क्या सन् सत्तावन के बाद किसी
सिहनी ने तलवार लिया नहीं कर मे
या माँ ने जननी बन्द कर दी
लक्ष्मीबाई अब घर-घर में..
✨️
नदियां
नहीं निकलती
किसी एक स्रोत से
कई छोटी बड़ी धाराओं के मिलने से
बनती है नदी
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एक दिन तुम
गहरी नींद से जागोगे
और पाओगे
मिथ्या, कल्पना जैसा कुछ नहीं होता,
जो सभी कुछ होता है, यथार्थ होता है।
✨️
आजकल एक पोस्ट बहुत वायरल हो रही है कि प्राकृतिक चिकित्सा से फोर्थ स्टेज का कैंसर ठीक हो गया। मैं ऐसे बहुत से लोगों को जानती हूँ जिन्होंने अपना एलोपैथी इलाज बीच में छोड़कर आयुर्वेदिक या नेचुरोपैथी अपनाया और नहीं बच सके। मेरी राय है कि कैंसर पेशेंट को पहले किसी अच्छे डॉक्टर से पूरा इलाज सर्जरी, कीमोथेरेपी, रेडिएशन वगैरह जो वो बताएं वह करवाना चाहिए,
✨️
“ वक़्त ”
मैंने बचपन से कहा -
“चलो ! बड़े हो जाए !”
उसने दृढ़ता से कहा -
ऐसा मत करना !
।।इति शम।।
धन्यवाद
पम्मी सिंह 'तृप्ति'...✍️
मंगलवार, 26 नवंबर 2024
4319 ...भाई आप भीतर भेजने के लिये धन की आशा क्यों रखते हैं।
सादर अभिवादन
कब सफर पूरा हुआ है ज़िंदगी का हार कर ।
मंजिलों की शर्त है बस मुश्किलों को पार कर।।
मुश्किलों के दौर में बस हार कर मत बैठना
आसमां को नाप लेंगे आज ये इकरार कर ।।
सोमवार, 25 नवंबर 2024
4318...साहित्य में नर्क..
"मज़हब में बहुत
बदकारियां हैं यक़ीनन!
सियासत में बहुत
मक्कारियां हैं यक़ीनन!!
जालिब की नज़्में
बर्बर हुक्मरानों के लिए
लफ़्ज़ों में गूंथी
चिंगारियां हैं यक़ीनन!!"
हबीब जालिब
लफ़्ज़ों में गूंथी चिंगारियां हैं यक़ीनन..सामाजिक जीवन आजकल कुछ ऐसे ही हालात से गुजर रही..तो फिर इन सभी के बीच गुजारे कुछ लिंकों के साथ..✍️
साहित्य-महोत्सव और नया वाला विमर्श
पिछले दिनों शहर में हो रहे एक ‘साहित्य-महोत्सव’ के पास से गुजरना हुआ।इस दौरान एक बड़े-से पोस्टर पर मेरी नज़र ठिठक गई।महोत्सव में अनूठा विमर्श चल रहा था,जिसका विषय था, ‘साहित्य में नर्क’।
✨️
ख़्वाब दर ख़्वाब ज़िन्दगी तलाशती है
नई मंज़िलों का ठिकाना, वो
तमाम खोल जो वक़्त
के थपेड़ों ने उतारे,
उन्हीं उतरनों
को देख,
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खुद पे पाबन्दी कभी कामयाब नहीं होती
कभी कभी तोड़ने की जिद्द इतनी हावी होती है
पता नहीं चलता कौन टूटा ...
✨️
उसने कहा कि आग लिखो
तुम्हारी लेखनी में आग नहीं है
सवाल तो बहुत सारे हैं लेकिन
शिकायतें और आक्षेप नहीं हैं
✨️
।।इति शम।।
धन्यवाद
पम्मी सिंह 'तृप्ति'...✍️
रविवार, 24 नवंबर 2024
4317 ..."निन्दक नियरे राखिए" यानी कि शादी अवश्य कीजिए
सादर अभिवादन
( पृष्ठ -36)
अगर इस बेकार की बतकही से आज के बाद आतिशबाज़ी ना जलाने के लिए कुछेक सम्वेदनशील मानव का हृदय- परिवर्तन हो जाए .. एक नेक मन का हृदय- परिवर्तन हो जाए .. तो .. दिवाली तो .. सदियों से हर वर्ष आने की तरह अगले साल भी आएगी .. हम रहें ना रहें .. आगे भी आती ही रहेगी तो .. इस वर्ष ना सही .. हम अपनी भावी पौध- पीढ़ी को कुछ इस तरह मानसिक- हार्दिक रूप से सींचे की भावी दिवाली सालों-दर-साल प्रकाशोत्सव ही बन कर रहे .. प्रदूषण उत्सव में तब्दील होने से बच जाए .. ताकि हम सहर्ष अपनों को प्रदूषण उत्सव के स्थान पर सदैव प्रकाश उत्सव की शुभकामनाएं प्रेषित कर सकें .. बस यूँ ही
*****
बस
शनिवार, 23 नवंबर 2024
4316 ..इस अंक में दो टके का दो टूक
शुक्रवार, 22 नवंबर 2024
4315 .... जेठ मास जो दिन में सोवे, ताको जुर अषाढ़ में रोवे।
सादर अभिवादन