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शुक्रवार, 15 नवंबर 2024

4308 ...जो भी कहना हमें सीधा सीधा कहो.

 सादर नमस्कार


गुरु पूर्णिमा है आज सिखों के प्रथम (आदि ) गुरु नानक देव जी का 555 वाँ जन्म दिन है

नानक  (कार्तिक पूर्णिमा 1469 – 22 सितंबर 1539) सिखों के प्रथम (आदि ) गुरु हैं. इनके अनुयायी इन्हें नानक, नानक देव जी, बाबा नानक और नानक शाह नामों से सम्बोधित करते हैं। नानक अपने व्यक्तित्व में दार्शनिक, योगी, गृहस्थ, धर्मसुधारक, समाजसुधारक, कवि, देशभक्त और विश्वबंधु - सभी के गुण समेटे हुए थे। इनका जन्म स्थान गुरुद्वारा ननकाना साहिब पाकिस्तान में और समाधि स्थल करतारपुर साहिब पाकिस्तान में स्थित है।

अपने दैवीय वचनों से उन्होंने उपदेश दिया कि केवल अद्वितीय परमात्मा की ही पूजा होनी चाहिये। कोई भी धर्म जो अपने मूल्यों की रक्षा नहीं करता वह अपने निम्न स्तर के विकास को दर्शाता है और आने वाले समय में अपना अस्तित्व खो देता है । उनके संदेश का मुख्य तत्व इस प्रकार था – ईश्वर एक है, ईश्वर ही प्रेम है, ईश्वर की दृष्टि में सारे मनुष्य समान हैं । वे सब एक ही प्रकार जन्म लेते हैं और एक ही प्रकार अंतकाल को भी प्राप्त होते हैं। ईश्वर भक्ति प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है। उसमें जाति- पंथ ,रंगभेद की कोई भावना नहीं है। 40वें वर्ष में ही उन्हें सतगुरु के रूप में मान्यता मिल गयी। उनके अनुयायी सिख कहलाये। उनके उपदेशों के संकलन को जपजी साहिब कहा जाता है। प्रसिद्ध गुरू ग्रंथ साहिब में भी उनके उपदेश और संदेश हैं। सभी भारतीय उन्हें पूज्य मानते हैं और भक्ति भाव से इनकी पूजा करते हैं।

उनको शत शत नमन


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मेरे यक्ष प्रश्न

पिता का अंश हो,प्राण हो,कुल पहचान हो,
घर द्वार की शहनाई हो,धरोहर मेहमान हो,
प्रेम से सिंचित,पोषित,लीलामई मुस्कान हो,
परिवार का सम्मान हो,गर्व हो,अभिमान हो,
मां की दुलारी,पिता की हिम्मत का भान हो,
भ्राता की कलाई का बंध हो,अटूट संबंध हो,
नैनों का इंतजार,प्रेमपूर्ण भाव की गहराई हो,
सब कुछ हो,तो फिर,बेटी कैसे तुम पराई हो?


चुनाव

तुमने प्रेम में अभिव्यकित (अभिव्यक्ति) चुनी
और मैंने चुना मौन हो जाना
तुमने मेरे साथ जोर-जोर हँसना चुना
और मैंनें तुमको हँसते देख मुस्कराना




पास बैठो ज़रा तुम घड़ी ,दो घड़ी,
ज़ल्दी ज़ल्दी ना इतनी मचाया करो.

जो भी कहना हमें सीधा सीधा कहो.
बीच में दूसरों को न लाया करो.


4 टिप्‍पणियां:

  1. उत्तर
    1. 🙄🤔 इतनी अंग्रेजी झाड़ेंगी तो .. वो भी सुबह-सुबह .. तो हिंदी के झंडा उठाने वाले लोग डंडा लेकर दौड़ जायेंगे .. शायद ...😂😂

      हटाएं
  2. जी ! .. सुप्रभातम् सह सादर नमन संग आभार आपका हमारे दो टके का दो टूक अपनी प्रस्तुति में पिरोने के लिए .. बस यूँ ही ...
    आपकी आज की भूमिका सराहनीय है, पर गुरु नानक साहब के ये संदेश, जिसकी चर्चा आपने की है, कि "ईश्वर की दृष्टि में सारे मनुष्य समान हैं ।" .. ठीक इसके उलट ..उनके तथाकथित अनुयायियों ने पगड़ी बाँध कर , (एक लंगर के समय को छोड़ कर , वो भी तात्कालिक सेवाभाव तो कम, तथाकथित पुण्य प्राप्ति के लालच ज़्यादा) अपने आप को समाज का एक अलग समुदाय ही मान बैठे और मन ही मन स्वयं को सर्वोत्कृष्ट भी मानने लग गए .. शायद ...
    गुरु - पैगम्बर आए जहान में यहाँ, जितना भी ज्ञान बाँटने,
    ज्ञान का तो पता नहीं, पर हर बार इंसान गए हर बार बँटते .. शायद ...

    जवाब देंहटाएं

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