सादर नमस्कार
दिन भर ब्लॉगों पर लिखी पढ़ी जा रही 5 श्रेष्ठ रचनाओं का संगम[5 लिंकों का आनंद] ब्लॉग पर आप का ह्रदयतल से स्वागत एवं अभिनन्दन...
निवेदन।
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फ़ॉलोअर
रविवार, 6 अक्तूबर 2024
4268 पद्मा नदी भी अपने तेज बहाव के साथ नाचती हुई जा रही थी
शनिवार, 5 अक्तूबर 2024
4267 रफ्ता रफ्ता सर के बाल हुए हलाल,
सादर नमस्कार
शुक्रवार, 4 अक्तूबर 2024
4266....संबंधों में अनुबंधों की...
मन में स्थित ज्ञान ज्योति को शक्ति का सकारात्मक रुप मानकर
जगाया जाता है ताकि मन के सारे विकारोंं से मुक्त होकर जीवन
लोक कल्याण के लिए कर्म को तत्पर हो सके।
कच्ची सी धूप को
वक़्त पर पकना ही था
व्यवहारिक से दायरों में
हम सबको बँधना ही था
संबंधों में अनुबंधों की
कहानी दोहराई जाएगी
दूर करो माँ यह अंधकार
जो लील रहा अस्तित्व मेरा !
सूझता नहीं मुझे पथ मेरा !
इस जग में है ही कौन मेरा
जिसको पुकार कर बुलाऊँ ?
अंतर का हाहाकार सुनाऊँ ?
अपनी कृपा दृष्टि का दीप जला
मुझे आगे का मार्ग दिखाओ ।
जितनी बार उसे उतारा जाता
उसके शरिर मे एक नस टूट जाती
चमड़ी से कुछ लहू नजर आता
जितनी बार उसे उतारा जाता
उसके नाखुनों से भूमि कुरेदी जाती
गुरुवार, 3 अक्तूबर 2024
4265...राष्ट्रपिता कहलाता था वह...
शीर्षक पंक्ति:आदरणीय प्रफ़ेसर गोपेश मोहन जैसवाल जी की रचना से।
सादर अभिवादन।
गुरुवारीय अंक में पढ़िए पाँच चुनिंदा रचनाएँ-
भारत दो
टुकड़े करवाया,
शत्रु-देश
को धन दिलवाया,
नाथू जैसे
देश-रत्न को,
मर कर
फांसी पर चढ़वाया.
राष्ट्रपिता
कहलाता था वह,
राष्ट्र-शत्रु
पर अब कहलाए,
बहुत दिनों
गुमराह किया था,
कलई खुल गयी वापस जाए.
*****
हर बार ऐसा हुआ है
कि जब तुम याद आई हो
तो जो भी मिला मुझसे
उस शख़्स के आगे
तुम्हारी हर बात
दुहराई शिद्दत से
इस बात से बेख़बर
कि कौन समझेगा उस बात को
*****
एक दिन देवों ने रखी प्रतियोगिता विचार के ओ s s s s
तीन लोक की परिक्रमा पहले करेगा तीन बार जो ओ s s s s
प्रथम पूज्य वह देवता होगा, बात बहुत है भारी
अजब हैरान.........
*****
बुधवार, 2 अक्तूबर 2024
4264..अहिंसक शस्त्र..
।।प्रातःवंदन।।
2 अक्तूबर महात्मा गांधी का जन्मदिन... सियासी गलियारों से लेकर सामाजिक चौखटों तक शांति का पाठ.. सच तो ये है कि आसान कहाँ है महात्मा गाँधी बनना ..
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और प्रधानमंत्री स्व. लाल बहादुर शास्त्री की जयंती पर शुभकामनाएँ .इसी के साथ चर्चा को आगे बढाते हुए..
मौन धारण
गांधी जी प्रायः सप्ताह में एक दिन मौन धारण किया करते थे और दिन होता था सोमवार। इसके द्वारा वे अपने गले को सुरक्षित रखना चाहते थे और अपने शरीर में साम्य। अपना मौन वे दो ही परिस्थिति में तोड़
झाँकें कान्हा के नयनों में
प्रेम समंदर एक झलकता,
डूब गई थी राधा जिसमें ..
✨️
मिनिमल लाइफ गारंटी
हम जी रहे हैं
कार्पोरेट लव
कार्पोरेट फीलिंग्स
कार्पोरेट रिलेशनशिप..
✨️
बढ़ने दो मुझे,
मैं रुक ही नहीं सकती,
किसी भी बेड़ी में बंध ही नहीं सकती,
वक़्त कम है, मैं थम ही नहीं सकती।
।।इति शम।।
धन्यवाद
पम्मी सिंह ' तृप्ति '..✍️
मंगलवार, 1 अक्तूबर 2024
4263..रंग होते हैं देखने वाले की आँखों में
आपसभी का स्नेहिल अभिवादन।
ऋतुओं का संधिकाल सृष्टि के अनुशासनबद्ध परिवर्तन चक्र का प्रतिनिधित्व करता है।
भादो के साँवले बादल, लौटती बारिश की रिमझिम झड़ी क्वार यानि आश्विन की पदचाप की धीमी-सी सुगबुगाहट से हरी धरा की माँग में कास के श्वेत पुष्षों का शृंगार
अद्भुत स्वार्गिक अनुभूति देती है।
नरम भोर ओर मीठी साँझ के बीच में धान के कच्चे दानों सा दिन।
शारदीय नवरात्र के उत्सव के पूर्व आपने कभी देखा है नौजवान ढाकियों को अपने तासे में कास के फूल खोंसकर तन्मयता से झूमते हुए?
आज की रचनाएँ
दरअसल रँग होते हैं तो देखने वाले की आँख में
जो जागते हैं प्रेम के एहसास से
जंगली गुलाब की चटख पंखुड़ियों में
प्रणय का प्रतिफलन, बिंदु -
बिंदु जीवन भर का
एक अमूल्य
संकलन,
डूब
कर भी किसी और जगह
एक नई शुरुआत,
बारम्बार जन्म
के पश्चात
भी नहीं
मिलती
तू अधकचरे ज्ञान से, करने लगा अनर्थ ।।
झलके तेरी बात में, बहुत बड़ा पांडित्य ।
पर मर्म समझता नहीं, है आत्मा तो नित्य ।।
इतना ज्यादा सोच मत, मन को थोड़ा रोक।
अर्जुन ! नश्वर देह का, ठीक नहीं है शोक ।।
देख मोना ! मुझे गुस्सा मत दिला ! बंद कर ये खेल खिलौने ! और चुपचाप पढ़ने बैठ ! कल तेरी परीक्षा है, कम से कम आज तो मन लगाकर पढ़ ले" !
"वही तो कर रही हूँ मम्मी ! मन बार -बार इसके बारे में सोच रहा था तो सोचा पहले इसे ही तैयार कर लूँ , फिर मन से पढ़ाई करूँगी" ।
मिलते हैं अगले अंक में।