।।प्रातःवंदन।।
मिरी साँसों को गीत और आत्मा को साज़ देती है
ये दीवाली है सब को जीने का अंदाज़ देती है
हृदय के द्वार पर रह रह के देता है कोई दस्तक
बराबर ज़िंदगी आवाज़ पर आवाज़ देती है
सिमटता है अंधेरा पाँव फैलाती है दीवाली
हँसाए जाती है रजनी हँसे जाती है दीवाली
नज़ीर बनारसी
सांस्कृतिक धार्मिक मूल्यों के साथ पंच दिव्य दीपोत्सव पर्व की शुभकामना के साथ आज की प्रस्तुतिकरण में शामिल रचना ..
इस बार की दिवाली
सम्वेदना का भाव भरा
खरा रहा इन्सान
जीवित जो आदर्श रखे
पूरे हो अरमान ..
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चित्र साभार गूगल |
बहुत सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंदीवाली जीने का अंदाज़ देती----वाकई सच है, यह पर्व उत्साह से भर देता है। शानदार प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति.आभार।
जवाब देंहटाएंआपका हृदय से आभार. सादर अभिवादन. शुभ दीपावली
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