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सोमवार, 28 अक्टूबर 2024

4290 ..हमें आ गया संभल कर भी चलना

 सादर नमस्कार

9 टिप्‍पणियां:

  1. Wow..
    हमें आ गया संभल कर भी चलना,
    बेहतरीन

    जवाब देंहटाएं
  2. जी ! .. सुप्रभातम् सह सादर नमन संग आभार आपका .. हमारी बतकही को इस मंच तक घसीट (? 😂) लाने के लिए 🙏🙏🙏 .. बस यूँ ही ...
    आपकी भूमिका के तहत भेजे संदेशे पर ग़ौर की जाए, तो पटाखे हमारी विरासत है ही नहीं .. ये भी हमारी तथाकथित सभ्यता-संस्कृति का एक अपभ्रंश रूप ही है .. एक अंधानुकरण भर .. शायद ...

    जवाब देंहटाएं
  3. सुप्रभात, सार्थक भूमिका, पठनीय रचनाओं की खबर देता सुंदर अंक, आभार !

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. अनीता जी ! .. आपके ब्लॉग पर उसकी settings के कारण और हमारे ब्लॉग की कुछ त्रुटियों के कारण हमारे जैसे लोगों का अपनी प्रतिक्रिया देना सम्भव नहीं हो पाता है .. वैसे इस अंक में आपके यात्रा वृत्तांत "प्रभात की नगरी" के तहत ऑरोविल आश्रम की और भी विस्तार से चर्चा के साथ-साथ और भी ढेर सारी तस्वीरें अगर होतीं, तो और भी रोमांच की अनुभूति हो पाती .. शायद ...

      हटाएं
  4. भावभीनी हलचल, आभार मेरी रचना को जगह देने के लिए

    जवाब देंहटाएं
  5. आज की प्रस्तुति में संलग्न "पूर्वा" की खनकदार आवाज़ में .. "राहत इंदौरी साहब" के लिखे बोलों को और "मुन्ना भाई एम बी बी एस" फ़िल्म में सुनिधि चौहान के गाए गाने को सुनकर आज की सुबह अच्छी बन पड़ी .. अगर ऐसा ना बोलें / लिखें, तो आज की प्रस्तुति पर की गयी प्रतिक्रिया अधूरी रह जायेगी .. शायद ...

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत बहुत सुंदर रचनाओं का संकलन। इसमें मेरी रचना को स्थान देने के लिए तहे दिलसे आभार।

    "जग में उजियारा फैलाएं" कविता जी की बहुत सुंदर रचना। वहां प्रतिक्रिया नहीं दे पा रही हूं।

    ब्लॉग परिवार के सभी सदस्यों को दीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं🪔🪔

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. कविता दीदी की नई पोस्ट नहीं है
      अवसर देख कर रिपोस्ट कर देती है
      वंदन

      हटाएं

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