सादर अभिवादन
कुछ ही मिनट पहले
सखी श्वेता ने सूचित किया
हम अचानक ही व्यस्त हो गए हैं
रचनाएँ कुछ मिली जुली ....
"मेरी बेटी तो पूजा के फूल समान पवित्र है।" शादी के बाद शिल्पा लगातार कई बार अपनी सास के मूंह से ये शब्द सुनती रहती थी। उसे समझ में ही नहीं आता था कि सास ऐसा क्यों कहती है। उसने सोचा कि शायद बेटी के प्यार में ऐसा कहती होगी। पर दो तीन महीनों बाद उसे लगा कि ये बात उसे सुनाकर ही कही जाती है।
उसी दिन शाम को मधु से रसोई में कुछ बनवाकर रस्म करवाई जानी थी,
बुआजी ने बड़े चाव से पूछा ..."मधु ! क्या बना रही हो बेटा?"
"सब तो मम्मी जी ने बनवा ही लिया है ,मैं तो केवल पापा और ताऊजी को चीनी के रस में डुबोने जा रही हूँ।
दोनों के ऊपर आपको सजा दूँगी...।"
सभी का हक़ है जंगल पे कहा खरगोश ने जब से
तभी से शेर, चीते, लोमड़ी, बैठे मचनों पर
जिस घड़ी बाजू मेरे चप्पू नज़र आने लगे
झील, सागर, ताल सब चुल्लू नज़र आने लगे
हर पुलिस वाला अहिंसक हो गया अब देश में
पांच सौ के नोट पे बापू नज़र आने लगे
आजकल फल मंडी सब्जी मंडी सड़क किनारे ठेलों पर बस आम ही आम नज़र आ रहे। कहीं अचार का कच्चा आम है तो कही पके। भइया ये डाल का आम है या पाल का। डाल का तो समझ आता अब ये पाल का आम क्या होता?पूछा तो पता लगा जो बिना कार्बाइड पके हैं वो डाल के और जो कार्बाइड डाल के जबरन पकाये गए हैं वो पाल के। हम इसके डिटेल में ज्यादा नहीं जायेंगे, हाँ इतना जरूर कहेंगे कि जहाँ तक हो सके डाल का आम खाएँ, पाल का आम खाने से बचें, पाल के आम फायदा की जगह नुकसान करेंगे। अब जहाँ डाल का आम उपलब्ध ना हो, वहाँ आम लाकर पानी में डाल दें, कुछ घंटों बाद उसका सेवन करें।
आती है जब दुबारा आवाज कौन हो बे।
किसी ने पूछ लिया हो जाति - धर्म या नस्ल
पूछा हो जैसे किसी ने श्रेष्ठता के बोध से
नहीं बताना चाहता है मन कौन हूं मैं
हिंदुस्तान हूं,संविधान हूं
मानव जाति का इंसान हूं मैं।
आज बस
कल मिलिएगा पम्मी सखी से
सादर वंदन