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बुधवार, 5 जून 2024

4148..बस पतझड़ बाकी है.....

 ।।प्रातःवंदन।।

.“हम सबके दामन पर दाग

हम सबकी आत्मा में झूठ

हम सबके माथे पर शर्म

हम सबके हाथों में टूटी तलवारों की मूठ "

डा० धर्मवीर भारती

सहज भाव से सामाजिक,लोकतांत्रिक प्रक्रिया को इंगित करतीं पंक्तियों के साथ चलिये अब नज़र डालें चुनिंदा लिंकों पर...✍️


 इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) से चुनाव के कारण अब मतगणना आसान भी हो गई है और मंगलवार को देर शाम तक सभी नतीजे भी आ जाएंगे. आइए जान लेते हैं कैसे होती है मतगणना, कौन तय करता है काउंटिंग की जगह, कितना बड़ा होता है मतगणना का एक राउंड और कैसे जारी होता है उम्मीदवार को जीत का सर्टिफिकेट

✨️

बस पतझड़ बाकी है.....


मिट सकता है क्या कभी अंतर

स्त्री-पुरुष का..!

तुम्हें है अहम सर्वज्ञता का

मैं अज्ञ सदा से..

✨️

नख चिन्ह 



देह पर रह जाते हैं वक़्त के नख चिन्ह, जीवन 

फिर भी खड़ा रहता यथावत मौन वृक्ष की 


तरह, व्याघ्र छोड़ जाते हैं अपनी सत्ता

के क्रूर निशान, उस पार बहती है ..

✨️

किस विषय पर गीत लिख दूँ


कौन से दिन चाँद खिलता, खिलखिलाता है दिवाकर।

किस विषय पर गीत लिख दूँ, भाव को कविता बनाकर।।


शुभ समय की माप-गणना

कौन मेरे साथ रहकर;

कौन रह सकता, सुखी हो..

✨️

दीवारों के भी कान होते हैं

कुछ कहावतें सुनने में बहुत ही अच्छी लगती हैं| कुछ ग्लैमर होता है उनमें, कुछ शोखी होती है और रोचकता तो भरपूर होती ही है| उन्हीं में से एक कहावत यह..

।।इति शम।।

धन्यवाद 

पम्मी सिंह 'तृप्ति'...✍️

6 टिप्‍पणियां:

  1. सुंदर सामयिक अंक
    आभार
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं मेरी रचना को स्थान देने के लिए सहृदय आभार पम्मी जी
    सादर

    जवाब देंहटाएं

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