निवेदन।


फ़ॉलोअर

शनिवार, 31 दिसंबर 2016

533 .... अंत=आरम्भ






शब्दपर्यायवाची
अंतस्वर्गवास, मरण, मृत्यु, देहांत, मौत

कब होगी सुरसा का अंत समस्याओं की

सभी को यथायोग्य
प्रणामाशीष






चाहे मालामाल हो चाहे हो कंगाल ।
हर कोई कहता मिला, दुनिया है जंजाल।।

राजनीति का व्याकरण, कुर्सीवाला पाठ।
पढ़ा रहे हैं सब हमें, सोलह दूनी आठ।।




‘‘कार्ड से भुगतान करना है। कितने का बिल है?’’
‘‘नौ सौ रुपए हुए। लेकिन, अभी कार्ड से भुगतान नहीं कर सकते।
 काम नहीं कर रहा है। कैश ही देने होंगे।’’
‘‘कैश नहीं हैं मैडम’’
‘‘तो थोड़ा इन्तजार कीजिए ..... ठीक होने तक।’’
 इतना बोलकर मैडम अपनी कुरसी पर बैठ गयी।
मैं बगल में खड़ा इन्तजार करता रहा। पूरे पांच घंटे बीत चुके!
जो कोई आता, तिरछी नजर से मेरी ओर देखता।
मैं बुरी तरह फंस चुका था। किसी तरह घंटों अपना मुंह
हर आने-जाने वालों से छुपाता रहा। अंत में रात को
अपना बिल चुका पाया और किसी तरह आफत टली।


















अमन का मतलब है
ख़ूबसूरती के क़दमों में रख देना सारे हथियार-
ओस में भीगता हुआ लोहा जंग खाता है आख़िरकार
*
अमन का मतलब है इस बात का खरा-सच्चा इक़बाल
क्या किया गया क़त्ल हुए इंसान के साये का हाल
*
अमन का मतलब है फिर से अपने बाग़ीचों में होना 
और फिर से अपनी पसंद की फ़सलों को बोना








जब 31 दिसंबर की रात को ठीक १२ बजे
घनघना उठेगी मेरे फोन की घंटी
तो उसी तरह उत्साह से भर कर
फिर से कहूँगी

” Happy New Year ”

स्वागत में आगत के बिछा दूँगी
स्वप्नों के कालीन
सजा दूँगी आशाओं के गुलदस्ते
और दरवाजे पर
टांग दूँगी
उम्मीदों के बंदनवार
क्योंकि उम्मीदों का जिन्दा रहना
मेरे जिन्दा होने का सबूत है







<><><><>



फिर मिलेंगे ...... तब तक के लिए











शुक्रवार, 30 दिसंबर 2016

532..........हो ही जाता है ऐसा भी कभी भी किसी के साथ भी


सादर अभिवादन
साल दो हजार सोलह का
तीन सौ पैंसठवां दिन

चली जाएगी एक टीन और
गई भी को क्या हुआ
दूसरी आने वाली है


आज की पसंदीदा रचनाएँ....


अब और न मरेंगे मोदी जी... शालिनी कौशिक
"कुछ लोगों को मनसब गूंगा बहरा कर देते हैं,
रोटी मंहगी करने वाले जहर को सस्ता कर देते हैं."
आंखों में आंसू भर मोदी ने 50 दिन मांगे थे, आज वे भी पूरे हो गए और क्या हुआ सब जानते हैं. काले धन की आड़ में सभी की जिंदगी में उथल-पुथल मचाने वाले इस निर्णय ने सब्जी व्यापारियों का स्वाद बिगाड़ दिया है. शामली जिले के सब्जी की दुकान करने वाले हाजी इलियास कहते हैं - " जितनी सब्जी खरीदकर लाते हैं वह पूरी बिक नहीं पाती, कच्चा माल होने के कारण अगले दिन खराब हो जाता है जिससे काफी नुकसान हो रहा है. नोटबंदी का काफी असर व्यापार पर हुआ है, कैशलेस व्यापार करना मुश्किल है क्योंकि अनपढ़ व्यापारी उसे संभाल नहीं पायेगा."


रस्म ए ख़ुदा हाफ़िज़.... शान्तनु सान्याल
कभी कभी शून्यता बहोत क़रीब होता है। 
तमाम झाड़ फ़ानूस क्यूं न हों रौशन -
दिल का कोना फिर भी बेतरतीब होता है। 


जीवन पानी सा बहता जाए.... मालती मिश्रा
जीवन पानी सा बहता है
ऊँची-नीची, टेढ़ी-मेढ़ी, 
कंकरीली-पथरीली सी
सँकरी कभी 
और कभी गहरी-उथली
आती बाधाएँ राहों में
पानी अपनी राह बनाता


थोड़ी मरम्मत का जरूरत है....निदा फ़ाज़ली
बहुत मैला है ये सूरज
किसी दरिया के पानी में
उसे धोकर फिर सुखाएँ फिर
गगन में चांद भी 
कुछ धुंधला-धुंधला है
मिटा के उसके सारे दाग़-धब्बे
जगमगाएं फिर


नया वर्ष भर झोली आया.....अनीता
मन  निर्भार हुआ जाता है 

अंतहीन है यह विस्तार,
हंसा चला उड़ान भर रहा 
खुला हुआ अनंत का द्वार !


आत्ममुग्ध-सा चला आ रहा है .....डॉ. सरस्वती माथुर
यह मंजुल प्रकाश भर
पंखड़ियों को धरा पर
बिखरा रहा है

जाफ़रानी हवाओं-सा
डाल-डाल. पात-पात पर
तितली-सा मंडरा रहा है



कुछ ऐसा हो नूतनवर्षाभिनंदन......कविता रावत
उछ्रंखलता उद्धत उदंड न बने कभी 
न हो कभी शालीनता का शमन 
अवांछनीयता, अनैतिकता न हो हावी 
कुछ ऐसा हो नूतनवर्षाभिनंदन





बदलता कानून.......समीर लाल ’समीर’
ये १ जनवरी, २०१७ की बात है. (टाईम मशीन फॉरवर्ड मोड में)
हमसे ज्यादा होशियारी नहीं. हमें तो ये नोट तुम्हारे 
पजेशन में मिले सो हम तो तुम पर ही केस बनायेगे. 
हवलदार नें २०००० रुपये के नोट दिखाते हुए कहा.
इतनी देर में उसने अपनी जेब से मोबाईल निकाला और 
हवलदार की २०००० रुपये पकड़े हुए तस्वीर ले ली 
और क्लाऊड में सेव भी कर दी 
और बोला- अगर पजेशन से जुर्म बनता है तो ये तो अभी 
आपके पजेशन में हैं, ये देखो फोटो भी प्रूफ के लिए.
हवलदार झल्लाया, हमारे पजेशन से क्या होता है, 
हम तो पुलिस वाले हैं? पुलिस वाले ही हो न..
कोई राजनैतिक दल तो हो नहीं कि कितना भी केश धरे रहो, 
कोई कानून ही नहीं लागू होता. मैं तुम्हारी फोटो लेकर 
अखबार और मीडिया में जाऊँगा, वो तुमसे भी बड़े वाले हैं, 
फिर देखना तमाशा.


आज का शीर्षक..
बस 
दो कदम 
फिर 
दोनो की 
गर्दने 
मुड़ती हैं 
और 
एक ही साथ
निकलता है 
मुँह से 
अरे आप हैं 
......
आज्ञा दें यशोदा को
अब इस वर्ष मैं नहीं आऊँगी
सादर















गुरुवार, 29 दिसंबर 2016

531...नव वर्ष आ ,  मुस्कुराता   हुआ  !!!

जय मां हाटेशवरी...

केवल दो दिन रह गये...
इस वर्ष के...
सभी को प्रतीक्षा है...
नव वर्ष की...
आज सब से पहले...
ये प्यारा सा गीत...

नव वर्ष आ ...
 ले आ नया हर्ष
नव वर्ष आ  !
 आजा तू मुरली की तान लिये ' आ !
अधरों पर मीठी मुस्कान लिये ' आ !
विगत में जो आहत हुए ,  क्षत हुए ,
उन्हीं  कंठ हृदयों में गान लिये ' आ !
 आ ' कर  अंधेरों  में  दीपक जला !
मुरझाये मुखड़ों पर कलियां खिला !
युगों  से  भटकती है विरहन बनी  ;
मनुजता को फिर से मनुज से मिला !
 सुदामा की कुटिया महल में  बदल !
हर इक कैक्टस को कमल में बदल !
मरोड़े  गए  शब्दों की  सुन  व्यथा ;
उन्हें गीत में  और  ग़ज़ल में बदल !
 कुछ पल तू अपने क़दम रोक ले !
आने  से  पहले  ज़रा  सोच ले !
 ज़माने को  तुमसे  बहुत आस है !
नदी को समंदर को भी प्यास है !
 नये वर्ष ! हर मन को विश्वास दे !
तोहफ़ा  सभी को  कोई  ख़ास दे !
 जन जन प्रसन्नचित हो आठों प्रहर !
भय  भूख़  आतंक  से   मुक्त  कर !
 स्वागत है आ,  मुस्कुराता हुआ !
संताप   जग के  मिटाता  हुआ  !!
नव वर्ष आ ,  मुस्कुराता   हुआ  !!!
- राजेन्द्र स्वर्णकार 



हत्या
“हाँ! बौरा जाना मेरा स्वाभाविक नहीं है क्या ? आठ साल की दीदी थी तो जंघा पर बैठा दान करने के लोभ में आपलोगों ने उसकी शादी कर दी …. दीदी दस वर्ष की हुई तो विदा होकर ससुराल चली गई । ग्यारहवे साल में माँ बनते बनते भू शैय्या अभी लेटी है “ ना चाहते हुए भी चुन्नी पलट कर अपनी माँ को जबाब दी।

गजब के रोचक फैक्‍ट व्हाट्सएप्प के बारे में - Gajab Ke Rochak Fact WhatsApp Ke Bare Me
6. 180 से ज्यादा देशों में 1 अरब से अधिक लोग WhatsApp का उपयोग करते हैं
7. व्हाट्सएप्प बनाने के आयडिया ने Jan Koum और Brian Acton के दोस्‍त एलेक्स फिशमैन के घर एक पिज्जा पार्टी में जन्‍म लिया
8. WhatsApp ने अपनी मार्केटिंग पर एक भी पैसा खर्च नहीं किया है

तुम्हारे साथ बीता सफ़र
ये ज़िन्दगी बाकी रहेगी
लेकिन ज़िन्दगी का सफ़र
ख़त्म हो जाएगा .......

लिफाफा
ऊपर अनिल कुमार मिले तो नरूला साब ने कहा,
- अनिल कुमार जी आप जुनेजा हो मुझे पता नहीं था वो तो बोर्ड देख कर ही पता लगा. आपको बहुत बहुत मुबारक और ये रहा बच्चों के लिए शगुन. फिर नरूला साब ने श्रीमति जी के साथ इत्मीनान से डिनर लिया और घर की ओर प्रस्थान किया. रास्ते में नरूला साब सोचते रहे कि एक लिफाफा फर्स्ट फ्लोर पर दे दिया दूसरा बेसमेंट में दे दिया तो तीसरा ग्राउंड फ्लोर पर भी दे आता तो अच्छा था.

कल और आज
दैनिक  जीवन  से
विलुप्त  हो  रहे  सामाजिक  मूल्य
प्रेम, करुणा,  दया,  सहयोग
दूसरों  की  परवाह  में  प्रशन्नता
व्यक्ति  से  कोसों  आगे  चल   रहे  हैं .

जब जब राम ने जन्म लिया तब तब पाया वनवास - [आलेख] - डा० जगदीश गांधी
प्रभु तो सर्वत्र व्याप्त है पर हम उसको देख नहीं सकते। हम उसको सुन नहीं सकते। हम उसको छू नहीं सकते तो फिर हम प्रभु को जाने कैसे? अपनी इच्छा नहीं वरन् प्रभु की इच्छा तथा आज्ञा को हम पहचाने कैसे? बच्चों द्वारा प्रतिदिन की जाने वाली हमारे स्कूल की प्रार्थना है कि हे मेरे परमात्मा मैं साक्षी देता हूँ कि तूने मुझे इसलिए उत्पन्न किया है कि मैं तूझे जाँनू और तेरी पूजा करूँ। इस प्रकार प्रभु ने हमें केवल दो कार्यों (पहला) परमात्मा को जानने और (दूसरा) उसकी पूजा करने के लिए ही इस पृथ्वी पर मनुष्य रूप में उत्पन्न किया है। प्रभु को जानने का मतलब है परमात्मा द्वारा युग-युग में पवित्र धर्म ग्रंथों गीता की न्याय, त्रिपटक की समता, बाईबिल की करुणा, कुरान की भाईचारा, गुरू ग्रन्थ साहेब की त्याग व किताबे अकदस की हृदय की एकता आदि की ईश्वरीय शिक्षाओं को जानना और परमात्मा की पूजा करने का मतलब है कि परमात्मा की शिक्षाओं पर जीवन-पर्यन्त दृढ़तापूर्वक चलते हुए अपनी नौकरी या व्यवसाय करके अपनी आत्मा का विकास करना। हमें प्रभु की इच्छा को अपनी इच्छा बनाकर जीवन जीना चाहिए। हमें अपनी इच्छा को प्रभु की इच्छा बनाने की अज्ञानता कभी नहीं करनी चाहिए।

रामायण में कहा गया है कि ‘जब जब होहिं धरम की हानी। बाढ़हि असुर, अधर्म, अभिमानी।। तब-तब धरि प्रभु बिबिध सरीरा। हरहिं कृपानिधि सज्जन पीरा।।’ अर्थात जब-जब इस धरती पर अधर्म बढ़ता है तथा असुर, अधर्मी एवं अहंकारियों के अत्याचार अत्यधिक बढ़ जाते हैं, तब-तब ईश्वर नये-नये रूप धारण कर मानवता का उद्धार करने, उन्हें सच्चा मार्ग दिखाने आते हैं । इसी प्रकार महाभारत में परमात्मा की ओर से वचन दिया गया है कि ‘यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत, अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्। परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्, धर्मसंस्थापनार्थाय संभवामि युगे-युगे।।’ अर्थात धर्म की रक्षा के लिए मैं युग-युग में अपने को सृजित करता हूँ। सज्जनों का कल्याण करता हूँ तथा दुष्टों का विनाश करता हूँं। धर्म की संस्थापना करता हूँ। अर्थात एक बार स्थापित धर्म की शिक्षाओं को पुनः तरोताजा करता हूँ।


संकट मे है बच्चों की दुनिया
अभी हाल मे उच्चतम न्यायालय ने स्कूली बच्चों मे शराब और नशे की बढती लत पर चिंता जताते हुये सरकार को निर्देश दिया है कि वह छ्ह माह मे बताए कि कितने बच्चे ड्र्ग्स लेते हैं । साथ ही चार माह मे बच्चों को इससे बचाने के लिए राष्ट्रीय योजना तैयार करने के भी निर्देश दिए हैं । यही नही, सरकार को सर्वे कराने का भी निर्देश दिया है कि कितने बच्चे नशाखोरी की चपेट मे हैं । एक गैर सरकारी संगठन की याचिका पर उच्चतम न्यायालय ने यह निर्देश दिए हैं । कोर्ट ने यह भी कहा है कि इस संबध मे सही आंकडों का होना बेहद जरूरी है । इससे पता चल सकेगा कि देश का कौन क्षेत्र ज्यादा प्रभावित है ।


यहां यह ज्यादा महत्वपूर्ण नही कि इस सबंध मे आंकडे कैसी तस्वीर पेश करते हैं ? बल्कि महत्वपूर्ण यह है जो चिंताएं समाज और सरकार की होनी चाहिए वह अदालतों के माध्यम से सामने आ रही हैं । हमे बताया जा रहा है कि बच्चों की दुनिया मे सबकुछ ठीक नही चल रहा । अदालत हमे बता रही है कि देखो बच्चे नशा करने लगे हैं ।

उन्हें नशे से बचाइये । क्या यह चिंताजनक नही कि हमे अपने आंगन मे या फिर आसपास ही खेल रहे बच्चों के बारे मे कुछ पता नही । उनकी मासूम दुनिया को नशे और अपराध के काले साये ने कब अपनी गिरफ्त मे ले लिया हमे पता ही नही चला । आखिर ऐसा कैसे संभव हुआ , यह सवाल ज्यादा महत्वपूर्ण है । बच्चे देश का भविष्य होते हैं


आज बस इतना ही...
 दिनांक  1 जनवरी 2017 को पांच लिंकों का आनंद पर...
नव वर्ष पर आप की नयी-जूनी रचनाओं को लिंक किया जाएगा...
अपनी रचनाएं हमे इस ब्लॉग के संपर्क प्रारूप द्वारा...
अभी ही भेजें।
धन्यवाद।























बुधवार, 28 दिसंबर 2016

530....पीटना हो किसी बड़ी सोच को आसानी से एक छोटी सोच वालों का एक बड़ा गिरोह बनाया जाता है

सादर अभिवादन
बचे दिन 2+1 बराबर 3 दिन
क्यों बोले तो..
दो दिन तो बचे हैं
1000-500 के नोट
जमा करने को
और बचा एक दिन..
चाहे रो लो..चाहे नाच लो
सत्रह को आना है सो आएगा ही

चलिए साथ करते हैं परिक्रमा..

नया ब्लॉग है..पहली बार  शामिल हो रहा है
जो द्वापर से लेकर आज तक
फाड़ते आ रहे हैं तुम्हारे चीर
और लगातार फाड़ते जा रहे हैं
निडर और निर्भीक,
क्या तुम्हारी चुप्पी कभी नही टूटने वाली ।

मैं आहिस्ता आहिस्ता
आँखे चुराकर
कान्हा के पार्श्व से गुज़रती हूँ..
कि कहीं उनकी मोहक छवि,
मनोहारी मुस्कान
और बाँसुरी के सम्मोहन से बाध्य हो
मैं तुम्हें उनके चरणों में अर्पित न कर दूँ..

हिंदू धर्म में तुलसी का विशेष धार्मिक महत्व होता है। तुलसी स्वास्थ्य के लिए भी बहुत लाभदायक होती है। वैज्ञानिकों ने भी तुलसी में पाये जाने वाले गुणों की पुष्टि की है। तुलसी को पवित्र मानकर इसकी पूजा की जाती है। सबसे अच्छी बात तुलसी को दवाई के रुप में लेने से इसका कोई साइड इफैक्ट नहीं होता है।

User shared photo
अपने-पराये का भेद...कविता रावत
लाठी मारने से पानी जुदा नहीं होता है।
हर पंछी को अपना घोंसला सुन्दर लगता है।।

शुभ कार्य की शुरुआत अपने घर से की जाती है।
पहले अपने फिर दूसरे घर की आग बुझाई जाती है।।

माँ - पिता......निवेदिता श्रीवास्तव 
माँ कदमों में ठहराव है देती 
पिता मन को नई उड़ान देते
माँ पथरीली राह  में दूब बनती
पिता से होकर धूप है थमती

सबके उर में प्रेम बसा है...अनीता
कौन चाहता है बंधन को
फिर भी जग बंधते देखा है,
मुक्त गगन में उड़ सकता था
पिंजरे में बसते देखा है !

वो लड़की ~2....सु-मन
वो लड़की
सफ़र में 
जाने से पहले
बतियाती है
आँगन में खिले 
फूल पत्तों से
देती है उन्हें हिदायत
हमेशा खिले रहने की

आज का शीर्षक..



जरूरी नहीं 
होता है तीखा 
होना अँगुलियों 
के नाखूँनो का 
किसी की सोच 
को खुरचने के लिये 
खून भी आता है 
लाल भी होता है 
सोच समझ कर 
योजना बना कर 
अगर हाँका 
लगाया जाता है
....
"मैं समझता हूँ कि हिन्दूओं नें अपनी बुद्धि और जागरूकता के माध्यम से वह किया जो यहूदी न कर सके । हिन्दुत्व में ही वह शक्ति है जिससे शांति स्थापित हो सकती है"।

*अल्बर्ट आइंस्टीन (1879 - 1955)*

अब आज्ञा दें दिग्विजय को
सादर



मंगलवार, 27 दिसंबर 2016

529...दिल में जो बसी सूरत सजायेंगे उसे हम यूँ


जय मां हाटेशवरी...

कल क्रिसमस के दिन....
बरफबारी हुई...
जश्न सा माहौल था...
वक्त कितना बदल गया है...
मुझे याद है....
जब मैं छोटा था...
मेरे गांव में सब इस लिये परेशान दिखते थे कि....
हिमपात अधिक होता है...
पर आज सब इस लिये परेशान है कि....
हिमपात आवशयक्ता  से कम होता है...
क्या करे...संतोष नहीं है...
हमे  तो आनंद आता है...
आप के साथ...

अपने-पराये का भेद
पड़ोसी की फसल अपनी फसल से बढ़िया दिखाई देती है।
बहुधा पराई चीज़ अपनी से ज्यादा आकर्षक नजर आती है।।
जूते में पड़े कंकर की चुभन को कोई दूसरा नहीं जानता है।
कांटा जिसे भी चुभा हो वही उसकी चुभन समझ सकता है।।

भावों की सरिता
भाव प्रेम या मिलन-विरह के,स्मृतियों से आँखों में नीर।
व्यथित सदा रहता है मन ये, कैसे बंधाऊँ मन को धीर।।
सुन भी लूं मैं गीत खुशी के ,मन गाता पीड़ा का गान।
अधर भले ही मुसकाते हैं, धड़कन छेड़े दुख की तान।।

प्रेम-गीत।
तुम नदी के तेज़ धारा जैसी एक चंचल सी प्रवाह प्रिय,
रोज करता हूँ वंदन प्रभु से, तुमसे ही हो मेरा विवाह प्रिय।

खाँसी के लिए अजवाइन के आयुर्वेदिक प्रयोग Ajwain for Cold and Cough in Babies
यही प्रयोग सर्दी अथवा बंद नाक खोलने में भी बहुत लाभदायक है| कृपया बच्चे पर प्रयोग करने के  पहेले खुद पर पोटली लगा कर सुनिश्चित करें कि पोटली ज़्यादा गर्म
तो  नही है, इस के बाद अपने बच्चे पर इसका इस्तेमाल करे।
Ajwain for Cold and Cough in Babies
2. अजवाइन और लहसुन पोटली का धुआँ / अरोमा (यह उपाय नन्हे शिशु के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है):
2 बड़े लहसुन की कलियाँ और एक बड़ा चम्मच अजवाइन को तवे पर भुन लें| थोड़ा ठंडा होने पर एक साफ मलमल के कपड़े के साथ एक पोटली बना लें| अब इस पोटली को बच्चे
के सोने की स्थान या पालने के पास रख दें | पोटली के लहसुन और अजवाइन की सुगंध से व अरोमा से बंद नाक खोलने में मदद मिलती है | यह अरोमा सर्दी में बहुत आराम
देता है |
नोट:  बच्चा कहीं मुंह में  न डाले या फिर दम न घुट जाऐ व अन्य ख़तरो से बचने के लिए पोटली को बच्चे के बहुत पास ना रखें  तथा किसी बड़े की मौजूदगी में ही पोटली
का प्रयोग कीजिए|

दिल में जो बसी सूरत सजायेंगे उसे हम यूँ
तुम्हारी मोहनी सूरत तो हर पल आँख में रहती
दिल में जो बसी सूरत उस सूरत का फिर क्या होगा

अपनी हर ख़ुशी हमको अकेली ही लगा करती
तुम्हार साथ जब होगा नजारा ही नया होगा

दिल में जो बसी सूरत सजायेंगे उसे हम यूँ
तुमने उस तरीके से संभारा भी नहीं होगा

कन्यादान की रस्म क्यों ?-
कन्यादान के विरोध में सर्वाधिक प्रबल आवाज श्री कृष्ण की है । महाभारत में प्रसंग है --' कृष्ण की बहन सुभद्रा मन ही मन अर्जुन के प्रति आसक्त थी । तब श्री
कृष्ण की सहायता से ही अर्जुन तथा सुभद्रा का गंधर्व विवाह संपन्न हुआ था । ( गंधर्व विवाह लगभग आजकल के कोर्ट  मैरिज की तरह होता था ) ।  बलराम ने सुभद्रा
और अर्जुन के विवाह  पर असहमति प्रगट करते हुए कहा था, --"  कि ब्राम्ह विवाह  के अनुसार जबतक कन्यादान नहीं हो जाता वह विवाह नहीं माना जाता ।"  इस पर  श्री
कृष्ण ने बलराम से पूछा ....." प्रदान मपी कन्याया: पशुवत को नुमन्यते ?" अर्थात - "  पशु की भांति कन्या के दान का अनुमोदन कौन करता है?  कन्यादान के विरोध
के स्वर में मनुस्मृति और नारद स्मृति भी पीछे नहीं है ।

रविकर निर्मल हास्य, प्रार्थना पूजा विनती-
बानी सुनना देखना, खुश्बू स्वाद समेत।
पाँचो पांडव बच गये, सौ सौ कौरव खेत।
सौ सौ कौरव खेत, पाप दोषों की छाया।
भीष्म द्रोण नि:शेष, अन्न पापी का खाया ।
लसा लालसा कर्ण, मरा दानी वरदानी।
अन्तर्मन श्री कृष्ण, बोलती रविकर बानी।।

आज बस इतना ही...
कल  २६ दिसम्बर था... ... कल  अमर शहीद ऊधम सिंह जी की ११७ वीं जयंती थी... |
मैं पांच लिंकों का आनंद की ओर से...
इन पुन्य आत्मा को नमन करते हुए...
श्रधांजली के रूप में...ये अंतिम लिंक...

अमर शहीद ऊधम सिंह जी की ११७ वीं जयंती-
26 दिसंबर 1899 को पंजाब के संगरूर जिले के सुनाम गांव में जन्मे ऊधम सिंह ने जलियांवाला बाग में हुए नरसंहार का बदला लेने की प्रतिज्ञा की थी, जिसे उन्होंने
अपने सैकड़ों देशवासियों की सामूहिक हत्या के 21 साल बाद खुद अंग्रेजों के घर में जाकर पूरा किया।
इतिहासकार डा. सर्वदानंदन के अनुसार ऊधम सिंह सर्वधर्म समभाव के प्रतीक थे और इसीलिए उन्होंने अपना नाम बदलकर राम मोहम्मद आजाद सिंह रख लिया था जो भारत के तीन
प्रमुख धर्मो का प्रतीक है।
ऊधम सिंह अनाथ थे। सन 1901 में ऊधम सिंह की माता और 1907 में उनके पिता का निधन हो गया। इस घटना के चलते उन्हें अपने बड़े भाई के साथ अमृतसर के एक अनाथालय में
शरण लेनी पड़ी।

धन्यवाद।















सोमवार, 26 दिसंबर 2016

528.....फिसलते हुऐ पुराने साल का हाथ छोड़ा जाता नहीं है

सादर अभिवादन
एक और दिन
बीता दिसम्बर का

आप भी शामिल हों आज की परिक्रमा में..


निराशा को हावी न होने दे.....प्रेरक कथा
कभी – कभी निरंतर मिलने वाली असफलताओं से व्यक्ति
यह मान लेता है कि अब वह पहले की तरह कार्य नहीं कर सकता,
लेकिन यह पूर्ण सच नहीं है।

ग़ज़ल.....कमला सिंह 'ज़ीनत'
मैं   तुझे  चाहती  हूँ  ऐ  ज़ालिम
तू  ज़माने  को  ये  खबर  कर दे

नाम  से   तेरे   जानी  जाऊँ  मैं
मुझपे बस इतनी सी मेहर कर दे



गुजरा या गुजारा.... विभारानी श्रीवास्तव
आदत नहीं कभी बहाना बनाना
फुरसताह समझता रहा ज़माना
छिपा रखें कहाँ टोंटी का नलिका
सीखना है आँखों से पानी बहाना



देख लड़की मैं जानता हूँ 
तूँ कामना करती थी
मुरादों के दिन की 
दिसम्बर की कंपकपाती रात की तन्हाई में


नहीं आये न तुम !
अच्छा ही किया !
जो आते तो शायद
निराश ही होते ! 


भूख से बेदम.... किसी सड़क ने 
पिघलते सूरज की आड़ में, 
घसीट के फेंका.... 
एक ऐसी राह में जो दिन में झिझक से 
सिकुड़ जाती है 
और रातों में बेशर्मी से चौड़ी हो जाती है।


किसी की भावना को आहत करने का कोई इरादा नहीं 
त्यौहार जीवन की एकरसता को ताज़गी और ख़ुशी से भर देते हैं ,सर्व धर्म समभाव की विचार धारा वाले वाले इस देश में असंख्य त्यौहार मनाये जाते हैं कोई भी त्यौहार मनाने में किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए अगर आपकी ख़ुशी में कोई शामिल होता है तो आपका भी कर्तव्य है


एक दिन सुबह ठीक पाँच बजे तुमने कॉल किया था और 
एकदम हड़बड़ी में कहा था, "सुनो.. दिसंबर जाने वाला है..
बस पाँच दिन बचे हैं, और तुम सो रहे हो...? उठो, फ़ौरन उठो और 
जल्दी से तैयार होकर पार्क आ जाओ". कसम से , मेरा तो दिल किया था फोन में घुस जाऊं और तुम्हारी चोटी काट लूँ. 


आज का शीर्षक....

बहुत कुछ से 
कुछ भी नहीं होते होते 
आदमी दीवालिया हो गया 
पता नहीं समझ नहीं पाया 
उस समय समझ थी 
या अब समझ खुद 
नासमझ हो गई 
साल के बारहवें महीने 
की अंतिम तारीख 
आते समय कुछ 
अजीब अजीब सी सोच 
सबकी होने लगी है 

आज्ञा दें दिग्विजय को
सादर



रविवार, 25 दिसंबर 2016

527.....फूलों की बातें

सादर अभिवादन
रविवार, पच्चीस दिसम्बर
साल का तीन सौ साठवाँ दिन
त्योहार क्रिसमस का
पर...एक गड़बड़ तो हो गई
कैलेण्डर से
एक छुट्टी गायब कर दी
सरकारी कर्मचारियों की

अचानक आए फोन से आज मैं यहाँ मौजूद हूँ...क्षमा

चलिए चलते हैं पढ़ी-सुनी रचनाओं की ओर...

अच्छे परफॉरमेंस और स्टंट से अपना नाम पूरी दुनिया में कमाया।
सुनिए गीता जी की जुबानी


जीवन चलने का नाम
बहता है झरने की मानिंद
अविरत.......
समय के तो मानों
लगे हो पंख
उडता है

इससे ऊपर कोई परिचय क्या ?....रश्मि प्रभा
मैं कौन हूँ ?
अपने पापा की बेटी
माँ की बेटी
बहन हूँ
माँ हूँ
और सबसे बड़ी बात
नानी और दादी हूँ

प्रेम.........करुणा सक्सेना
शब्दों में बंधे भाव
और भावों में गुंथे
प्रेम में
कचियाए अनुभव
उतर आए
पतवार बनकर !

छूटता कुछ भी नही है इस जहाँ...सुषमा वर्मा
ये साल भी जा रहा है,
हर साल की तरह,
कुछ ख्वाइशें पूरी होते-होते,
अधूरी रह गयी...
कुछ दर्द जिंदगी को जार-जार कर गए,

मेरे दिल की लगी आग को....जयन्ती प्रसाद शर्मा
मेरे दिल की लगी आग को आंचल से हवा दे दी,
बीमार विस्मिल यार को मरने की दवा दे दी।

आज का शीर्षक...
पौपी की 
कली अफीम 
बनवाती है
बेनूरी पर 
नरगिस
अपनी क्यों 
रोती चली 
जाती है
डैफोडिल 
जलते भी है
रजनीगंधा 
देख कर
लोगों के दिल
मचलते भी हैं

आज रविवार के दिन क्रिसमस का आनन्द लीजिए
सोमवार को मैं नहीं आऊँगी
आज्ञा दें यशोदा को
















शनिवार, 24 दिसंबर 2016

526 ... लीप वर्ष मे ३५९ वॉ दिन



Image result for राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस (भारत)


सभी को यथायोग्य
प्रणामाशीष


राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस



भारत में २४ दिसम्बर राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस के रूप में मनाया जाता है।
सन् १९८६ में इसी दिन उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम विधेयक पारित हुआ था।
 इसके बाद इसअधिनियम में १९९१ तथा १९९३ में संशोधन किये गए।


हम कल रविवार 25 दिसम्बर को धूम मचाने वाले हैं


आदत नहीं कभी बहाना बनाना
फुरसताह समझता रहा ज़माना
छिपा रखें कहाँ टोंटी का नलिका
सीखना है आँखों से पानी बहाना

नाक बिदुरना आना बहुत जरूरी होता है




जो तपा झंझावातों में,
दम रहा उसकी बातों में ,
आँधियाँ रुक मार्ग देती ,
रुका नहीं काली रातों में ,
उसको जो चाहे पुकारो





अगर इन्टरनेट की खाक छानते रहे तो 
आपके हाथ में लंबे-चौड़े बिल ही आएंगे | 
एक दो बड़े टूर में सारा पैसा वसूल बशर्ते 
आप हिमालय कि ऊंचाइयां
 नापने का इरादा न रखते हों |







 जीवन में चुनौती है तो संघर्ष है ,
संघर्ष है तो परिणाम स्वरूप विफलता भी हो सकती है
 या सफलता भी हो सकती है। 
जो चुनौती स्वीकार करके संघर्ष करते हैं 
और संघर्ष से नव-पथ प्रशस्त करते हैं ,
वही काल के गाल पर अपना नाम अंकित करते हैं।


1960 का वो दशक



कभी बरसात, तो कभी तुषार पाला, तो कभी ओलों की मार।
फसलों को निगल जाती थी। न तो विपरीत मौसम में
अधिक उत्पादन देने वाले बीज थे। मक्का, ज्वार, कोदों-कुटकी,
उड़द जैसा मोटा अनाज ही नसीब था। किसी घर में
गेंहू और चावल का भोजन बनने पर। वह दिन उस घर के बच्चों के लिए
त्यौहार का दिन बन जाया करता।




Image result for जागतिक ग्राहक दिन






अनी
संगीनी
अभिमानी
मैला तटनी
रिश्ते दूध-खून
पिसते नुक्ताचीनी



http://www.nagarsanket.com/Paper/PAGE1.HTM


Image result for जागतिक ग्राहक दिन


फिर मिलेंगे .... तब तक के लिए
आखरी सलाम

विभा रानी श्रीवास्तव


Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...