ज
लीले
आपदा
सनै सनै
दंड वरदा
बदहाल जीव
लहुलुहान चेन्नै
|
ना
!
चारा
सम्पत्ति
परिवृत्ति
चले
कुचाल
कर्म
दिष्ट धारा
शक्ति
फल विपत्ति
|
विभूति दुग्गड़ मुथा
न चाहते हुए भी धन जला रहे हैं लोग
नोटों की गड्डियां गंगा में बहा रहे हैं लोग
बदलाव भी चाहते हैं
और बदलना भी नहीं चाहते, ये कैसी चाहत है
शुभ प्रभात दीदी
जवाब देंहटाएंसादर नमन
हरदम की तरह एक
अनूठा संकलन
सादर
वाह सुन्दर प्रस्तुति विभा जी ।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंमेरी रचना "अभी मस्त चांदनी है" शामिल करने के लिए धन्यवाद विभा जी...
जवाब देंहटाएंमेरी रचना "अभी मस्त चांदनी है" शामिल करने के लिए धन्यवाद विभा जी...
जवाब देंहटाएंI have read your article; it is very informative and helpful for me.....In "Sarkari jobs by company" segment, Candidates can use the best opportunity provided by Sarkari Job to find latest jobs listed by top 1000s plus companies registered under Govt sectors
जवाब देंहटाएं