आज माह दिसम्बर का उन्नीसवाँ दिन
जरूरत से अधिक ठण्ड
देवी जी की तबियत भी
नासाज है कुछ
पर होता कहाँ है आराम...
अब तक की परिक्रमा का परिणाम......
आज्ञा दें दिग्विजय को..
सादर
दिन भर ब्लॉगों पर लिखी पढ़ी जा रही 5 श्रेष्ठ रचनाओं का संगम[5 लिंकों का आनंद] ब्लॉग पर आप का ह्रदयतल से स्वागत एवं अभिनन्दन...
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शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंवाह...
सादर
बहुत सुन्दर सूत्रों का चयन किया है आज ! मेरी प्रस्तुति 'प्रकोपी सर्दी' को स्थान देने के लिए हृदय से आभार दिग्विजय जी ! धन्यवाद आपका !
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह पाँच लिंक। एक लाजवाब प्रस्तुति। आभार दिग्विजय जी 'उलूक' के सूत्र 'खुद को ढूँढने के लिये खोना जरूरी है' को जगह देने के लिये।
जवाब देंहटाएंअच्छी हलचल प्रस्तुति .. धन्यवाद
जवाब देंहटाएंशुभदोपहर.....
जवाब देंहटाएंक्या बात है सर....
सुंदर संकलन....
आभार।
उम्दा संकलन।
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