निवेदन।


फ़ॉलोअर

बुधवार, 14 दिसंबर 2016

516....भ्रम कहूँ या कनफ्यूजन जो अच्छा लगे वो मान लो पर है और बहुत है

माथे के चन्दन
आप सभी का

अभिनन्दन
अभिवादन

सीधे ले चलता हूँ चयनित रचनाओं की ओर...

आज पहली बार 
आ रही है करुणा बहन और पूजा बहन


कितने कभी हो दूर

तो कितने कभी हो पास
कि ख़त्म ही होता नही
यह तीसरा वनवास ।

“का”- The Pythoness.....पूजा शर्मा राव
वो “का” जैसी अजगर
जिसका आगोश मौत है
जिनकी फरेबी कुंडलियों में
दफ़न है रिश्ते ,एहसास
जिस शाख़ से भी लिपटे
उसे घोंट कर ही छोड़ा


अभी जब मेरी पलकों में समाया था कोई स्वप्न .
नीम के झुरमुट में चहचहा उठीं चिड़ियाँ चिंता-मग्न—

“अरे अरे ,कहाँ गया वह सामने वाला पीपल ?
कौन ले गया बरगद ,इमली ,नीम ,गुडहल ?.

पर कुछ ही देर बाद
अपनी इस चाहत को
दरकिनार कर
बेपरवाह हो
मांजने लगती है

" प्यार का सीधा अर्थ दैहिकता से जोड़ा जाता है ,,
ये दीगर है नारी देह को नजर से निचौडा जाता है ||

बर्दाश्त करें तो रहने को घर खाने को निवाले हैं 
पलट कुछ उंचा बोली तो राहों पर छोड़ा जाता है || 

निसंदेह गलतफहमियां यूँ होती
स्याह पाये जाते क्या गजमोती

चाँद ! सोच में उभरती ज्योत्स्ना
धवल मक्खन उजास शोभना

पटना जंक्शन के बाहर साबरमती का संत.....विद्युत मौर्य
पटना जंक्शन पर जब ट्रेन पकड़ने के लिए पहुंचते हैं तो वहां एक स्टीम लोकोमोटिव आपका स्वागत करता नजर आता है। स्टेशन आते जाते मेरे बेटे ने इस लोकोमोटिव के बारे में जानने की इच्छा जताई। पर यहां इस लोकोमोटिव का इतिहास या परिचय नहीं लिखा गया है।


यादें
कभी यूँ भी होती हैं
मानो,
किसी सर्द रात में
बर्फ़ हो रहे बदन पर
कोई चुपके से
एक गर्म लिहाफ़ ओढ़ा जाए ।

ज़ुल्फ़ की घटा ओढ़े, चाँद जैसे मुखड़े पर
बादलों के पहरे में, चांदनी सोई जैसे

सिलसिला है यादों का, या धमक क़दमों की
होले-होले बजती हो, बांसुरी कोई जैसे


आज का शीर्षक....


किसी और को भी है 
या नहीं है उतना ही 
जितना मुझे है 
और मान लेने में 
कोई शर्म या 
झिझक भी नहीं है 
जरा सा भी नहीं 

आज्ञा दें दिग्विजय को
पिछले तीन दिन छुट्टियों के थे
आज से फिर भीड़-भड़क्का
सादर










7 टिप्‍पणियां:

  1. सुंदर संकलन ... आभार मुझे शामिल करने का ...

    जवाब देंहटाएं
  2. निःसन्देह सुंदर संकलन ... आभार मुझे शामिल करने के लिए।

    जवाब देंहटाएं
  3. सुन्दर प्रस्तुति । सभी सूत्र उम्दा हैं । 'उलूक' खुश है । आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  4. प्रियंका गुप्ता की 'यादें' अच्छी लगी. विजय लक्ष्मी की कविता में भाव तो हैं किन्तु काव्य-सौन्दर्य का नितांत अभाव है.

    जवाब देंहटाएं
  5. सभी रचनाए सुन्दर हैं . मेरी रचना को शािल करने का हार्दिक धन्यवाद .

    जवाब देंहटाएं

आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें

आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।

टिप्पणीकारों से निवेदन

1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।




Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...