पाँच लिंकों के आनंद के साथ हाज़िर हूँ फिर एक बार , आपकी ही संगीता स्वरुप !
चित्रकार
दो-चार दिन पहले सम्पूर्ण गीता को सुनने का सुअवसर प्राप्त हुआ। वैसे तो कौन नहीं जानता कि गीता का मुख्य सार है- आत्मा अजर-अमर, अविनाशी है तो मृत्यु का शोक कैसा, मृत्यु आत्मा के नये वस्त्र बदलने की प्रक्रिया मात्र है और दूसरा निष्काम कर्मयोगी बनो अर्थात कर्म करो फल की चिंता नहीं करो।
प्रत्येक व्यक्ति अर्थात आत्मा बचपन से ही ये ज्ञान सुन रहा है या यूं कहें कि कई जन्मों से सुन रहा है फिर भी इसे आत्मसात नहीं कर पाता। फिर क्या मरणासन्न स्थिति में गीता का ज्ञान सुन कर किसी को मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है अर्थात किसी को जीवन का ज्ञान मिल सकता है ?
नई दिल्ली, 24 जनवरी (इंडिया साइंस वायर): कोरोना वायरस उत्परिवर्तित (Mutate) होकर निरंतर अपना रूप बदल रहा है। ऐसे में, वायरस के नये उभरते रूपों की पहचान और उपचार चुनौतीपूर्ण हो गया है। ऑमिक्रॉन जैसे कुछ रूपांतरित कोरोना वायरस के संक्रमण के मध्यम लक्षण देखे गए हैं, और इसके संक्रमण के कारण होने वाली मौतों के मामले भी कम हैं। लेकिन, कोरोना का ऑमिक्रॉन संस्करण दुनिया भर में जंगल की आग की तरह बेहद तेजी से फैल रहा है।