।।उषा स्वस्ति।।
आगे बढ़ो...
सूर्योदय रुका हुआ है!
सूरज को मुक्त करो ताकि संसार में प्रकाश हो,
देखो उसके रथ का चक्र कीचड़ में फँस गया है
आगे बढ़ो साथियो!
सूरज के लिए यह संभव नहीं कि वो अकेले उदित हो सके..!!
('सूरज का सातवां घोड़ा')
धर्मवीर भारती
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सच में अकेले उदित होना असंभव ही है..
तो फिर साथ बढिए साधें लक्ष्य की ओर
और नज़र डालें चुनिंदा रचनाओं पर..
वर्ल्ड हार्ट डे पर - डॉ. शरद सिंह
बोझ लें हम क्यूं भला, हर बात का
ज़िंदगी झिलमिल करें ज्यों फुलझरी।
कमल उपाध्याय की अफ़वाह...कट्टर सोच
मुम्बई के मोहम्मद अली रोड से नागपाड़ा जाने वाले रस्ते पर मोटर सवार लडको को पुलिस को गरियाते - निकलते हुए आप देख सकते है। इन मनचलो कि कौम बता कर मै पुरे कौम का नाम ख़राब नहीं कर सकता, क्योंकी इस तरह के लोग हर कौम में मिल जाते है। बेचारा ट्रैफिक पुलिस वाला सिटी बजा कर ट्रैफिक मोड़ने कि कोशिश तो करता है परन्तु गाली खाने के अलावा बेचारा कुछ नहीं कर पाता।
एक किरण जो मेरी खिड़की से उतर आती हैं
मेरी खिड़की से उतरती हैं
मेरे फर्श पर छा जाती हैं
एक किरण रोज़
मेरे अँधेरे खा जाती हैं....
आसमान जब बाहें फैलता हैं
घना बादल जब आँखे दिखता हैं
‘कौवा कान ले गया’ जैसा है किसान आंदोलन का सच
कुछ नासूर ऐसे होते हैं जो किसी एक व्यक्ति नहीं बल्कि पूरे समाज को अराजक स्थिति में झोंक देते हैं, ऐसा ही एक नासूर है अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और लोकतंत्र बचाने के नाम पर ''आंदोलन'' की बात करना, फिर चाहे इसके लिए कोई भी अराजक तरीका क्यों ना अपनाया जाये। हाल ही में किया जा रहा किसान आंदोलन इसी अराजकता और भ्रम की परिणीति है।
एक किरण ...
मेरी खिड़की से उतरती हैं
मेरे फर्श पर छा जाती हैं
एक किरण रोज़
मेरे अँधेरे खा जाती हैं....
आसमान जब बाहे फैलता हैं
घना बादल जब आँखे दिखता हैं
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नाचती एक उर्जा ही ..
नित नवीन निपट अछूती
इक मनोहरी ज्योत्स्ना है,
सुन सको तो सुनो उसकी
आहट ! यह न कल्पना है !
गूँज कोई नाद अभिनव
हर शिरा में बह रहा है,
वह अदेखा, जानता सब
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।।इति शम।।
धन्यवाद
पम्मी सिंह ‘तृप्ति’...✍️