समय की चाल पर संसार अपनी धुरी पर
घूमता रहता है अनवरत।
घूमता रहता है अनवरत।
कल का दिन बदलाव की
नयी आशाओं और उमंगों से भरपूर होगा।
2018 के हमक़दम के अंक की
अंतिम प्रस्तुति में आप सभी का
सादर अभिवादन
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तेज़ी से आयी थी
रुक ही न सकी
वह उसी झोंक में चली गयी
धीमे आती सहलाती
हम कहते यह बौछार प्यार की है
रहते निःस्तब्ध। छुअन से बँधे।
किन्तु वह रुकी नहीं
हम सहमे, थमे,
उफ़न-उमड़न मन की पर
एक उमस में छली गयी
वह आयी आँचल लहराती
तृषा और लहराती
तृषा और गहराती
भरमाती, सिहराती, चली गयी।
-अज्ञेय
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छुअन की भाषा
जीव-जंतु,पक्षी ,पेड़-पौधों के साथ-साथ संसार का सबसे बुद्धिमानप्राणी मनुष्य भी बहुत अच्छी तरह समझते और महसूस करते है।
छुअन मन की संवेदनाओं को जागृत कर अच्छे या बुरे कर्म के लिए प्रेरित करता है।
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हिय सरित की धाराओं का आलोड़न
मन पर विचारों की छुअन
जीवन का विसंगतियों में नवप्रस्फुटन
निराशा पर आशाओं की छुअन
सुख-दुःख, प्रेम का आभासी आवरण
हृदय पर भावनाओं की छुअन
बदलाव,विरक्ति,मद-क्रोध संचरण
व्यवहार पर शब्दों की छुअन
बंधन,जग संबंधों का आसक्ति वरण
जग माया की मोहनी छुअन है
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हमक़दम के विषय "छुवन"पर इस बार
सीमित रचनाएँ ही आई है।
सीमित रचनाएँ ही आई है।
चलिए आज की रचनाएँ पढ़ते हैं-
★★★★★★
कुसुम कोठारी
फूलों की छुवन साथ लिये
था थोड़ा बसंती सौरभ
कुछ अल्हड़ता लिये
मतंग मतवाली हवा।
लो लहरा के चली हवा
सरगम दे मुकुल होठों को
तितलियों का बांकपन
किरणों के रेशमी ताने
ले मधुर गान पंछियों का।
★★★★★
प्रेम का मधुमास,
चल रही बासंती पवन।
स्पर्श उसका लगे जैसे,
प्यार की हो छुवन।
खिल उठी हैं मंजरी,
बह उठी तरंगिनि।
कूकती है कोयलिया,
सिहर उठा तन-मन।
★★★★★
बढ़ती उम्र के साथ होता
वों का एहसास भिन्न
बचपन में बात्सल्य का प्रभाव
युवा वय होते ही प्रेम प्रीत की छुअन
वानप्रस्थ आते ही
बिचारों की छुअन करवट लेती
भक्ति की ओर झुकती
आस्था बढ़ती जाती
प्रभु से एकाकार होना चाहती |
★★★★★
खुले आसमान के नीचे
प्रशांत महासागर के तट पर
शिशिर ऋतु की भीषण सर्दी में
अपने चहरे से टकराती ठंडी हवाओं की
बर्फीली छुअन को याद कर रही हूँ !
एक चहरे के अलावा बाकी सारा बदन
गर्म कपड़ों से कस कर लिपटा होता है
★★★★★
आदरणीय शशि जी
मन का मन से स्पर्श , शब्दों का हृदय से स्पर्श और ऋतुओं का प्राणियों से ही नहीं वरन् वनस्पतियों से भी स्पर्श सुख-दुख की अनुभूति करा जाता है। इस हेमंत और शिशिर ऋतु में बर्फिली हवाओं की छुअन जब चुभन देती है , तो अग्नि का ताप दूर से ही सुखद स्पर्श देता है। कुछ सम्बंध मनुष्य के जीवन में ऐसे भी होते हैं कि दूर हो कर भी उसका छुअन मधुर लगता है और कभी-कभी तन से तन का मिलन होकर भी कुछ नहीं मिलता है । परस्पर समर्पण भाव का स्त्री- पुरूष के जीवन में अपना ही कुछ आनंद है।
★★★★★★
आज का यह बहुमूल्य संकलन
आपको कैसा लगा।
आपकी उत्साहवर्धन प्रतिक्रिया की सदैव प्रतीक्षा रहती है।हमक़दम का नया विषय
जानने के लिए
कल का अंक देखना न भूले।
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-श्वेता सिन्हा