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गुरुवार, 31 अक्टूबर 2024

4293...चलो आज ऐसा दीपक जलाएँ...

शीर्षक पंक्ति: आदरणीया उर्मिला सिंह जी की रचना से। 

सादर अभिवादन। 

गुरुवारीय अंक लेकर हाज़िर हूँ। 

चित्र साभार: गूगल 

दीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएँ। 

अंधकार को अतिशय आलोचा गया, 

तब जाकर किसी ने तो दीप जलाया,

धमाके का शोर शामिल हुआ दीवाली में,

हर दीवाली पर उसे और बढ़ाया ही गया।

-रवीन्द्र   

आइए पढ़ते हैं आज की पाँच पसंदीदा रचनाएँ-

मृगजल--

अक्सर
मुड़ के देखा किया, कोई न था
हद ए नज़र, बंद खिड़कियां
दरवाज़े फिर किस ने
नाम है पुकारा,
ख़ुश वहम
ही सही,

*****

आज कुछ ऐसे दीप जलाएं

तमस सत्य पर आवरित न हो

प्रीत की बाती विश्वास का तेल हो

किसी से क्षमा मांग ले .....

किसी को क्षमा कर दें...

होठों पर मुस्कानों की ....

लौ तेज कर लें....

चलो आज ऐसा दीपक जलाएं।। 

*****

एक दीप अंतर करुणा का

चैतन्य का दीपक प्रज्ज्वलित

अपने लक्ष्यों को याद करें,

मंज़िल तक राहों पर पग-पग

दीप जलायें संकल्पों के !

*****

 दीप

एक दीप संकल्प का,आज जलाएँ आप।

तिमिर हृदय का दूर हो,मिटे सभी संताप।।

दीप जले जब ज्ञान का,रहे आचरण शुद्ध।

ऊर्जा के संचार से,अंतस में हैं बुद्ध ।।

*****

ये हमारी जिद...?

सोचता हूं

पानी नहीं है

जंगल नहीं है

बारिश नहीं है

मकानों के जंगल हैं

तापमान जिद पर है

पता नहीं

कौन

किसे खत्म कर रहा है ?

*****

फिर मिलेंगे।

रवीन्द्र सिंह यादव

 

6 टिप्‍पणियां:

  1. दीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएँ।

    जवाब देंहटाएं
  2. दिवाली की बहुत बहुत शुभकामनाएं 🙏

    जवाब देंहटाएं
  3. सुप्रभात !दीपों का पर्व शुभ हो, सुंदर प्रस्तुति, आभार रवींद्र जी!

    जवाब देंहटाएं
  4. सभी लोगों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें प्रेषित हैँ।

    जवाब देंहटाएं

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