।।प्रातःवंदन।।
नये-नये विहान में
असीम आस्मान में-
मैं सुबह का गीत हूँ।
मैं गीत की उड़ान हूँ
मैं गीत की उठान हूँ
मैं दर्द का उफ़ान हूँ
मैं उदय का गीत हूँ
मैं विजय का गीत हूँ
सुबह-सुबह का गीत हूँ
मैं सुबह का गीत हूँ..!!
डॉ धर्मवीर भारती
बुधवारिय प्रस्तुतिकरण में शामिल रचना...✍️
क्या सन् सत्तावन के बाद किसी
सिहनी ने तलवार लिया नहीं कर मे
या माँ ने जननी बन्द कर दी
लक्ष्मीबाई अब घर-घर में..
✨️
नदियां
नहीं निकलती
किसी एक स्रोत से
कई छोटी बड़ी धाराओं के मिलने से
बनती है नदी
✨️
एक दिन तुम
गहरी नींद से जागोगे
और पाओगे
मिथ्या, कल्पना जैसा कुछ नहीं होता,
जो सभी कुछ होता है, यथार्थ होता है।
✨️
आजकल एक पोस्ट बहुत वायरल हो रही है कि प्राकृतिक चिकित्सा से फोर्थ स्टेज का कैंसर ठीक हो गया। मैं ऐसे बहुत से लोगों को जानती हूँ जिन्होंने अपना एलोपैथी इलाज बीच में छोड़कर आयुर्वेदिक या नेचुरोपैथी अपनाया और नहीं बच सके। मेरी राय है कि कैंसर पेशेंट को पहले किसी अच्छे डॉक्टर से पूरा इलाज सर्जरी, कीमोथेरेपी, रेडिएशन वगैरह जो वो बताएं वह करवाना चाहिए,
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“ वक़्त ”
मैंने बचपन से कहा -
“चलो ! बड़े हो जाए !”
उसने दृढ़ता से कहा -
ऐसा मत करना !
।।इति शम।।
धन्यवाद
पम्मी सिंह 'तृप्ति'...✍️
सुन्दर लिंक्स. बधाई और हार्दिक शुभकामनायें आपको
जवाब देंहटाएंबेहतरीन अंक, सभी को प्रणाम 🙏 आज के इस बेहतरीन अंक में मेरी रचना को शामिल करने के लिए बहुत बहुत आभार महोदया 🙏
जवाब देंहटाएंबेहतरीन सूत्रों से सजा सुन्दर अंक ।आज की प्रस्तुति में “मंथन” को सम्मिलित करने के लिए सादर आभार सहित धन्यवाद पम्मी जी !
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंक्स.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सराहनीय संकलन।
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार आपका।
सादर