शीर्षक पंक्ति: आदरणीय डॉ. जेन्नी शबनम जी की रचना से।
सादर अभिवादन।
सोमवारीय अंक लेकर हाज़िर हूँ। आइए पढ़ते हैं पाँच चुनिंदा रचनाएँ-
कभी वे आसमान में चले जाते हैं,
दिखते हैं, पर पकड़ में नहीं आते,
कभी वे अंदर पैठ जाते हैं,
साफ़-साफ़ दिखाई पड़ते हैं।
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दिन भर ब्लॉगों पर लिखी पढ़ी जा रही 5 श्रेष्ठ रचनाओं का संगम[5 लिंकों का आनंद] ब्लॉग पर आप का ह्रदयतल से स्वागत एवं अभिनन्दन...
शीर्षक पंक्ति: आदरणीय डॉ. जेन्नी शबनम जी की रचना से।
सादर अभिवादन।
सोमवारीय अंक लेकर हाज़िर हूँ। आइए पढ़ते हैं पाँच चुनिंदा रचनाएँ-
कभी वे आसमान में चले जाते हैं,
दिखते हैं, पर पकड़ में नहीं आते,
कभी वे अंदर पैठ जाते हैं,
साफ़-साफ़ दिखाई पड़ते हैं।
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Wow
जवाब देंहटाएंThanks
Regards
बहुत सुन्दर. आभार
जवाब देंहटाएंगुलाबी अक्षर कह रहा है "Sorry, the page you were looking for in this blog does not exist."
जवाब देंहटाएंहै , इस लिंक पर देखिए
हटाएंhttps://4yashoda.blogspot.com/2024/11/blog-post_17.html
सादर वंदन
सुप्रभात ! पठनीय रचनाओं की सूचना देता सुंदर अंक, ह्रदय से आभार रवींद्र जी !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर संकलन।
जवाब देंहटाएंमंच पर स्थान देने हेतु हार्दिक आभार आपका
सादर