शीर्षक पंक्ति: आदरणीया आशा लता सक्सेना जी की रचना से।
सादर अभिवादन।
गुरुवारीय अंक में मेरी पसंदीदा पाँच रचनाएँ आपकी नज़र-
ऊँची उड़ान है ध्येय मेरा
उसमें सफल
रहूँ
हार का मुँह न देखूँ
बस रहा यही
अरमान मेरा।
बूंद
तृप्त कर
देती है अतृप्त मन को
सींच देती है
अपनत्व का
बगीचा
बूंद
तुम्हारे
कारण ही
धरती पर
जिंदा है हरियाली
जिंदा है जीवन---
स्मृति इक जंजीर है
विकल्प इक आवरण
रिक्त हुआ जब घट बासी जल
से
तब भर देता है अस्तित्व
अमी प्रेम का सुमधुर
एक घूँट पर्याप्त है
वह मुस्कुराते हुए मुझे धन्यवाद देकर चले गए।
*****
फिर मिलेंगे
रवीन्द्र सिंह यादव
बेहतरीन प्रस्तुति....
जवाब देंहटाएंआभार..
सादर..
असीम शुभकामनाओं के संग हार्दिक आभार आपका
जवाब देंहटाएंश्रमसाध्य प्रस्तुति हेतु साधुवाद
प्रभावी और सुंदर संयोजन के लिए
जवाब देंहटाएंसाधुवाद आपको
सभी रचनाकारों को बधाई
मुझे सम्मलित करने का आभार
सादर
बेहतरीन ।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंपठनीय रचनाओं का सुंदर संयोजन, मेरी रचना को स्थान देने के लिए बहुत बहुत आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत प्रस्तुति
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