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गुरुवार, 26 मई 2022

3405...ऊँची उड़ान है ध्येय मेरा...

 शीर्षक पंक्ति: आदरणीया आशा लता सक्सेना जी की रचना से। 

सादर अभिवादन। 

गुरुवारीय अंक में मेरी पसंदीदा पाँच रचनाएँ आपकी नज़र-

किसी से कुछ न चाहिए

ऊँची उड़ान है ध्येय मेरा

उसमें सफल रहूँ

हार का मुँह न देखूँ

बस रहा यही अरमान मेरा।

 बूंद

बूंद

तृप्त कर देती है अतृप्त मन को

सींच देती है

अपनत्व का बगीचा

बूंद

तुम्हारे कारण ही

धरती पर जिंदा है हरियाली

जिंदा है जीवन---

अमी प्रेम का

स्मृति इक जंजीर है

विकल्प इक आवरण

रिक्त हुआ जब घट बासी जल से

तब भर देता है अस्तित्व

अमी प्रेम का सुमधुर

एक घूँट पर्याप्त है

अलंकार

चीटीं को भी सरकने में दम घूंट रहा होगा इंसानों के बीच से। पहला दिन जेनरल फिजिशियन ने कार्डियोलॉजी में रेफर कर दिया। भीड़ के कारण नम्बर नहीं लग पाया। दूसरे दिन जाने पर चिकित्सक से भेंट हुई और जाँच शुरू हुआ। एक परेशान हितैषी का प्रवेश हुआ


दोस्ती किताबों से

मैं उनकी प्रतिक्रिया से बहुत प्रसन्न हुआ और आज मैंने उन्हें मुंशी प्रेमचंद जी का ही दूसरा उपन्यास "कर्मभूमि"और अपना ग़ज़ल-संकलन "दर्द का एहसास" पढ़ने के लिए दिए।

वह मुस्कुराते हुए मुझे धन्यवाद देकर चले गए।

*****

फिर मिलेंगे 

रवीन्द्र सिंह यादव 

 

7 टिप्‍पणियां:

  1. बेहतरीन प्रस्तुति....
    आभार..
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  2. असीम शुभकामनाओं के संग हार्दिक आभार आपका

    श्रमसाध्य प्रस्तुति हेतु साधुवाद

    जवाब देंहटाएं
  3. प्रभावी और सुंदर संयोजन के लिए
    साधुवाद आपको

    सभी रचनाकारों को बधाई
    मुझे सम्मलित करने का आभार
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  5. पठनीय रचनाओं का सुंदर संयोजन, मेरी रचना को स्थान देने के लिए बहुत बहुत आभार !

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत खूबसूरत प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं

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