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शुक्रवार, 27 मई 2022

3406.....ज़िन्दगी की हु-तू-तू

शुक्रवारीय अंक में 
आपसभी का स्नेहिल अभिवादन।
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 ‘हास्य’ साहित्य के नौ रसों में से एक रस है।'
 सभी भाषाओं के साहित्य में हास्य रस का विशेष महत्व है। इसीलिए प्रत्येक भाषा में हास्य साहित्य प्रचुर मात्रा में मिल जाता है। आजकल के दौर में हास्य साहित्य का महत्व निरंतर बढ़ता जा रहा है। क्योंकि जिस गति से हर क्षेत्र में तकनीकी साधन बढ़ रहे हैं, उसी अनुपात में व्यक्ति अपने दैनिक जीवन में व्यस्त होता नजर आ रहा है।
और यदि आधुनिक युग की बात करें तो तनाव दूर करने के जो भी साधन सामने आए हैं, जैसे – टेलीविजन, इंटरनेट, विडिओ गेम, सोशल मीडिया, अखबार आदि सभी तनाव को घटाने के बजाय और बढ़ा देते है।
हास्य रचनाएँ साहित्य की सर्वश्रेष्ठ विधाओं में एक है जो मन को तनावमुक्त करती है।
तो चलिए 
आइये आज के अंक की
 रचनाओं का आस्वादन करते हैं और
 साथ में सुनते हैं
हास्य व्यंग्य के अनूठे महारथी कवि
अशोक चक्रधर को,
जिनकी रचनाएँ उनकी विलक्षण
व्यक्तित्व का परिचय परिचय देती हैं।


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ज़िन्दगी की हु तू तू में 
तुमको जिंदा करने के लिए 
कोई साथी नहीं है । 
लड़नी है 
खुद ही खुद के लिए 
सारी लड़ाइयाँ । 

पचास के पाँच

सो अहं, तत् त्वं असि'

फिर, कोई तुम - सा भ्रमित पथिक,
अहंकार चेतना का लायेगा।
पांच तत्वों की मुझ प्रकृति में,
अपनी बुद्धि और मन को पाएगा।
अनपढ़ औरत

झिलमिल करते 

नभ आंगन का

कोई धूसर खाली कोना

क्यों रिक्त रहा उडुगण के बिन

मैं उसका अभिप्राय और..,

तुम सारा ब्रह्माण्ड लिखो


डेमोक्रेसी
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अव्यक्त नयन सोते में डूबा
जिह्वा का हठयोग रहा।
व्यक्त आजीवन एकदम उत्सर्ग
विधना का सुयोग रहा।
बैठ  छाँव में निरख ढोलना
 मत बोलना! तुम मत बोलना

शहीदों के नाम
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आँचल तेरा छूट गया "माँ"
छूटा गाँव, घर और चौबारा। 
रोया था मैं फूट-फूट के
जिस दिन छूटा था साथ तुम्हारा।
बुढ़ापा
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बड़ा सा कश भर बीड़ी को पत्थर पे बुझा वापस माचिस की डिबिया में रख,  कमर का साफा खोलकर सिर में बाँधते हुए मजदूर मुस्कुराकर बोला, "हाँ सेठ जी ! कैच तो बढ़िया पकड़े ये ! तभी तो आज से काम पर ले आया इसे ।  वो देखो ! फसक्लास ईंटा कैच कर रिया" ।

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आज के लिए बस इतना  ही
कल का विशेष अंक लेकर आ रही हैं
प्रिय विभा दी।
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19 टिप्‍पणियां:

  1. जवाब नहीं लाजवाब प्रस्तुति
    बानगी..
    "बच्चा ना है ये, पूरे चौदह बरस का हो रिया । और ये किरकेट फिरकेट तो अमीरों के चोंचले होवें । भूखा पेट रोटी माँगे, जे नाम से नहीं , काम से मिले है सेठ जी" ! कहते हुए उसने ईंटों का ढ़ेर उठाया और चल दिया
    आभार..।
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  2. शब्द नहीं हैं आपकी प्रस्तुति की कैसे तारीफ़ करूँ। हृदय से अनेकानेक आभार... कारगिल याद दिलाया जैसे कोई अपना मिलने आया।
    दिल से आभार सृजन को स्थान देने हेतु श्वेता दी जी।
    बहुत सारा स्नेह

    जवाब देंहटाएं
  3. आज के संकलन में ‘अनपढ़ औरत’ हृदयस्पर्शी लगी श्वेता जी ! संकलन में ‘एक गीत’ सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  4. सुन्दर और भावपूर्ण अभिव्यक्ति प्रिय श्वेता ।हास्य पर सटीक मंथन।आजकल इतने माध्यम जिनसे जुड़कर खुश रह सकते हैं लोग पर ये सोशल मीडिया भी कहीं ना कहीं तनाव को बढा रहा है घटाता नहीं।अच्छा हो हम लोग नकारात्मक खबरों दूर रहें,ये हमारे व्यक्तित्व पर बुरा असर डाल रही हैं ।हास्य से जड़ें, ये हमें कुछ पल को प्रसन्नता देकर तनावमुक्त करने में सहायक होता है ।समय मिलते ही अशोक चक्रधर जी के सभी वीडियो देखती हूँ।मेरे लिए ये किसी अनमोल खजाने से कम नहीं।आज की सभी रचनाओं को पढ़ा।सभी लाजवाब है।सुधा जी की मार्मिक लघुकथा हृदय को छूती है।,विश्वमोहन जी की वेदांत दर्शन की सो अहं, तत् त्वं असि'की सूक्ष्म अभिव्यक्ति भावपूर्ण और लाजवाब रचना।वहीं कबड्डी के खेल के माध्यम से बेबाक जीवन दर्शन का खुलासा किया है संगीता दीदी ने।जीते जी संघर्ष में आशा की प्रेरणा जगाता मीना जी का गीत बहुत सुन्दर है तो अनीता जी की मन की मौन व्यथाओं की मार्मिक अभिव्यंजना हृदयस्पर्शी है। बलिदान की मर्मांतक बेला में एक भावातुर सैनिक का देश सेवा के लिये प्रेरक अपनी माँ की प्रेरणओं और निर्मल स्नेहासिक्त मार्ग दर्शन को हृदयस्पर्शी अन्तिम वंदन है सखी कामिनी की मार्मिक रचना, जो अनायास आँखें नम कर देती है।आज के सम्मिलित सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं।तुम्हें भी आभार और शुभकामनाएं इस सार्थक प्रस्तुतिः के लिए।सभी से विशेष आग्रह अशोक जी के वीडियो जरुर देखें सुनें और मुस्कुराने के बहाने का ये अवसर हाथ से ना जानें दें।

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  5. सभी रचनाकारों से विशेष आग्रह है कि अपने ब्लॉग के भीतर कमेंट भाग में प्रतिक्रियाओं को जरुर देखें।संगीता दीदी की प्रस्तुति पर मैने कई रचनाओं पर प्रतिक्रियाएँ दी थी जो उन ब्लॉग पर नज़र नही आ रही हैं।यदि उन्हें अन्दर कमेंट section में
    कमेंट मिलें तो कृपया उन्हें not spem कर दें।वे प्रतिक्रियाएँ ब्लॉग पर दिखने लगेंगी।🙏🙏

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    उत्तर
    1. प्रिय रेणु ,
      मैंने प्रयास किया लेकिन मुझे कमेंट सैक्शन में कुछ मिला नहीं । फिर से किसी से पूछती हूँ ।

      हटाएं
    2. तुम्हारी टिप्पणी नहीं है कमेंट भाग में ।

      हटाएं
    3. प्रिय दीदी,मैं आपकी रचनाओं की नहीं आपकी प्रस्तुति में शामिल रचनाओं की बात कर रही थी।आपके ब्लॉग पर आज दोपहर में उपस्थित होती हूँ।उस दिन मैने अमृता जी को छोड़कर सभी पर लिखा था पर कुछ ब्लॉग पर टिप्पणी दिखी नहीं 🙏🙏

      हटाएं
    4. ये बात किसी और ने भी कही की कुछ ब्लॉग्स पर कमेंट्स नहीं हो पा रहे हैं । कुछ तो पाँच लिंक के आनंद पर भी नहीं कर पाए । अब ये गूगल की प्रॉब्लम है या फोन की नहीं मालूम ।।

      हटाएं
  6. शानदार भूमिका
    उम्दा लिंक्स चयन छुटकी

    जवाब देंहटाएं
  7. भावपूर्ण भूमिका के साथ सुंदर प्रस्तुति । मेरी रचना भी यहाँ खेल रही है कबड्डी । बाकी सभी रचनाएँ शानदार हैं । विश्वमोहन जी की रचना गहन भाव लिए देह से परे की बात कह रही है । अशोक चक्रधर जी की कविताओं ने समाँ बांध दिया । अनपढ़ औरत की व्यथा हो या चौराहे पर नैपकिन बेचता बच्चा हो , , बड़ी मारक व्यंग्य रचनाएँ हैं । सभी वीडियो पसंद आये । बुढापा में साफ सुनाई नहीं दिया ।
    बेहतरीन प्रस्तुति।

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  8. तनाव मुक्ति के लिए हास्य साहित्य का महत्व बताती सुन्दर सारगर्भित भूमिका के साथ उत्कृष्ट लिंकों से सजी लाजवाब हलचल प्रस्तुति आदरणीय अशोक चक्रधर जी के वीडियो ज में उनकी अद्भुत रचनाएं सुनकर मजा आ गया ...बहुत ही श्रमसाध्य एवं लाजवाब प्रस्तुति हेतु साधुवाद बधाई एवं आभार श्वेता जी !
    मेरी रचना को भी यहाँ शामिल करने हेतु अत्यंत आभार एवं धन्यवाद आपका..।

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  9. पठनीय और संग्रहणीय संकलन।

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  10. बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  11. तनाव भरे जीवन में हास्य रस से सराबोर आदरणीय अशोक जी का विडियो शेयर करने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया श्वेता जी, मैं तो इनकी बहुत बड़ी प्रशंसक हूं,जब भी मन उलझता है सुनती रहती हूं। आज का विषेश अंक प्रशंसनीय है और इसमें मेरी रचना को भी स्थान देने के लिए हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार।समय आभाव के कारण सभी लिंक पर जा नहीं पाईं हूं.... कल जरूर जाऊंगी।एक बार फिर से तहे दिल से शुक्रिया एवं नमन आपको 🙏

    जवाब देंहटाएं

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