।। ऊषा स्वस्ति।।
कांच के उपहार - -
अनायास मन में आईं कुछ पंक्तियां....
१. कुछ लम्हों ने तान छेड़ी फिर
वो लाएं हैं उन्हें हृदय में फिर
जिनमे है दर्द चुप्पी और निराशा।
आशा! हां इसी के लिए यूं जी रहा था मैं
दिन भर ब्लॉगों पर लिखी पढ़ी जा रही 5 श्रेष्ठ रचनाओं का संगम[5 लिंकों का आनंद] ब्लॉग पर आप का ह्रदयतल से स्वागत एवं अभिनन्दन...
।। ऊषा स्वस्ति।।
१. कुछ लम्हों ने तान छेड़ी फिर
वो लाएं हैं उन्हें हृदय में फिर
जिनमे है दर्द चुप्पी और निराशा।
आशा! हां इसी के लिए यूं जी रहा था मैं
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बहुत दिनों बाद काका को पढ़ा
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
आदरणीय मेम ,
जवाब देंहटाएंमेरी लिखी रचना ब्लॉग "दीदार की नर्म आंच में" को इस मंच में स्थान देने के लिए बहुत धन्यवाद ।
सभी संकलित रचनाएं बहुत ही उम्दा है सभी आदरणीय को बधाइयां ।
सादर ।
सुन्दर एवं मनभावन संकलन...मन में जाग गयी नयी तरंग
जवाब देंहटाएंवाह!सुन्दर प्रस्तुति
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