शीर्षक पंक्ति:आदरणीय शांतनु सान्याल जी की रचना से।
सादर अभिवादन।
गुरुवारीय अंक में पाँच रचनाएँ लेकर हाज़िर हूँ-
माफ़ कर देता हूँ
एक वादे पे
अजीब है ये दर्द ए ला इलाज, यकसां जीना मरना,
लौटने का वादा किया लेकिन लौट कर नहीं आया,
शायरी | हमारी भूल थी | डॉ (सुश्री) शरद सिंह
राजदंड सेंगोल: इतिहास के आइने से लेकर सेंट्रल विस्टा तक
पर हमारा
तथाकथित आस्थावान बुद्धिजीवी समाज यह सब जानकर भी धर्मान्धता में सब दरकिनार कर
देता है और तभी तो इस अवसर पर तुलसी के पौधे को लाल चुनरी से इस क़दर ढक देता है कि
विष्णु-तुलसी के तथाकथित विवाह के नाम पर बेचारे तुलसी के मासूम पौधे का दम ही
घुंट जाता होगा .. शायद ...
*****
फिर मिलेंगे।
रवीन्द्र सिंह यादव
बेहतरीन अंक
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
शानदार अंक...खूब बधाई रविंद्र जी आपको।
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जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति।
जी ! नमन संग आभार आपका .. अपनी आज की प्रस्तुति में मेरी बतकही को स्थान प्रदान करने हेतु .. इन औपचारिक बातों के बाद आपको अवगत कराना चाहता हूँ, कि मुझे एक ब्लॉग-मित्र के द्वारा ज्ञात हुआ कि मेरी बतकही आज के पाँच लिंकों के आनन्द पर चस्पा किया गया है, तो मैं पोस्ट को झाँका पर औपचारिक आमंत्रण नहीं दिखा .. मैं बहुत ही शर्मिन्दा हूँ अपने ब्लॉग की किसी अज्ञात तकनिकी त्रुटि की वजह से कुछेक प्रतिक्रिया स्पैम में चली जाती हैं और वहाँ जाकर उसे Not Spam करना पड़ता है .. बिलम्ब से अपना आभार प्रकट करने के लिए ग्लानि महसूस करते हुए आप से क्षमाप्रार्थी हूँ .. बस यूँ ही ... 🙏🙂
जवाब देंहटाएंजी ! नमन संग आभार आपका .. अपनी आज की प्रस्तुति में मेरी बतकही को स्थान प्रदान करने हेतु .. इन औपचारिक बातों के बाद आपको अवगत कराना चाहता हूँ, कि मुझे एक ब्लॉग-मित्र के द्वारा ज्ञात हुआ कि मेरी बतकही आज के पाँच लिंकों के आनन्द पर चस्पा किया गया है, तो मैं पोस्ट को झाँका पर औपचारिक आमंत्रण नहीं दिखा .. मैं बहुत ही शर्मिन्दा हूँ अपने ब्लॉग की किसी अज्ञात तकनिकी जानकारी से, जिसकी वजह से कुछेक प्रतिक्रिया स्पैम में चले जाते हैं और वहाँ जाकर उसे Not Spam करना पड़ता है .. ग्लानि महसूस करते हुए आप से क्षमाप्रार्थी हूँ .. बस यूँ ही ... 🙏🙂
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति
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