जय मां हाटेशवरी.....
सादर नमन......
चल यार एक नई शुरुआत करते है,
जो उम्मीद जमाने से की थी,
वो अब खुद से करते है !
प्रतीक्षारत
विश्वास में लिपटा
शून्य था पसरा
आस-पास कोई वृक्ष न था
कुएँ से लौटी खाली बाल्टी
उसमें पानी भी कहाँ था?
मुहब्बत के ज़ख़्मों का, पूछो न हिसाब मुझसे
बेवफ़ा हूँ मैं, ये सारी दुनिया कहती है
दिया न गया, कोई मुनासिब जवाब मुझसे ।
अँधेरे को समझना होगा नसीब अपना
नाराज़ है 'विर्क', प्यार का आफ़ताब मुझसे ।
कहना चाहते हैं ..
भाषा मेरी है शब्द भी मेरे हैं मुझे कहने दो,
क्यों मेरी जुबां अपने शब्द थोपना चाहते हैं।
रोटियों के लिए खाद्यान्न फसलें जरुरी हैं
क्यों खेतों में नागफनी बबूल बोना चाहते हैं।
हमें जिसकी जरूरत है वही चाहते हैं वीर
जो पसंद नहीं वह क्यों हमें देना चाहते हैं।
हाईकू
बचाओ मुझे
४-प्यार से बंधे
इतने मजबूत
उसे जकडे
५-तेरा मेरा प्यार
इतना नाजुक है
मोम जैसा है
चिट्ठी जो हरदम अधूरी पढ़ी जाएगी
मुझे माफ कर देना, मैं नहीं जानता था कि तुम्हें उनसे इस तरह आज़ाद करना होगा। अपने कंधे पर रखे हुए...
उन्हें माफ कर देना, वो नहीं जानते कि क्या कर रहे हैं।
जहां हो, वहां खुश रहना। मुझसे लड़ने के नए रास्ते खोजने में कोई कमी मत रखना। मुझे इसकी आदत पड़ी हुई है।
इस आदत के बिना कैसे रहूंगा, बताओ..
कितना अजीब होता
शायद कुछ
ख़ुश भी होते
बदलते समय के
मुरीद भी होते
उम्र, एक नम्बर
कहने वाले
हमें एक नम्बर का
चालू कहते
धन्यवाद।
शानदार अंक
जवाब देंहटाएंआभार आपका
सादर
वाह वाह!
जवाब देंहटाएंवाह...अतिसुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंहाइकु की जगह हाईकू सही नहीं है और ना उसमें रचना हाइकु हो रही है
जवाब देंहटाएंअधूरी चिट्ठी पढ़ ली
अच्छी प्रस्तुति : साधुवाद
बहुत खूब! शानदार अंक
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया अंक
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