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शनिवार, 15 अक्टूबर 2022

3547... सौन्दर्य

         हाज़िर हूँ...! पुनः उपस्थिति दर्ज हो...

दिखी थी अनजान राहों में वह,

बिना देखे रहा न गया।

बिना डूबे रहा न गया।

बिना निहारे रहा न गया।

वय: संधि के पदों में विद्यापति नायिका के शारीरिक एवं मानसिक चंचलता को भी सूक्ष्मता से बताते हैं। वह चंचलता रूपी सौन्दर्य केवल नायिका ‘राधा’ का न हो करके संसार भर की हर नव-युवती का है। जैसे नयनों का चंचल होना। विद्यापति का सौन्दर्य तब और अपनी पराकाष्ठा को प्राप्त कर लेता है, जब वह नायिका के माध्यम से समाज की अन्य स्त्रियों को समझाते हुए सचेत करते हैं कि –एक मूर्ति में सिमट गयीं किस भांति सिद्धियां सारी?

कब था ज्ञान मुझे इतनी सुन्दर होती हैं नारी?

आगे वर्णन है –

जग भर की माधुरी अरुण अधरों में धरी हुई-सी,

आंखों में वारुणी रंग निद्रा कुछ भरी हुई-सी!

दर्पण, जिसमें प्रकृति रूप अपना देखा करती है,

वह सौन्दर्य, कला जिसका सपना देखा कर रागों एवं बंदिशों में निहित सौन्दर्य के आधार तत्व को हमें समझना है । राग में निहित सौन्दर्य को समझने के लिए सर्वप्रथम हमें रागों के विभिन्न स्वरूप, उसके स्वर समूहों तथा उन्हें कई दृष्टि तथा आधार पर समझना होगा । उसके उपरांत ही राग सौन्दर्य और बंदिश सौन्दर्य को समझा जा सकता है।चंचल मन की अभिलाषा हो, मधुकर मकरंद का प्यासा हो।

सुख संवर्धन हो उपवन की, मधु हास महकते यौवन की ।

मन तड़प रहा उत्पीड़न में, जियें ख्वाबों के जीवन में।

तुम्हे देख ये नयना धन्य हुए, आनंद अंकुरित पुण्य हुए।

एक बार तो मेरे संग आओ सौन्दर्य से जीवन रंग जाओ।

सौन्दर्यमयी चंचल वृतियाँ, बनकर रहस्य नाच रही

मेरी आँखों को रोक वहीं, आगे बढ़ने में जाँच रही।

मैं देख रहा हूँ जो कुछ भी, वह सब क्या छाया उलझन हैं?

सुन्दरता के इस पर्दे में क्या अन्य धरा कोई धन है? (काम सर्ग, कामायनी)

उन्होंने सौन्दर्य के प्रति आकर्षण एवं सौन्दर्य को सत्य एवं शिव के रूप में देखा। नारी प्रकृति एवं मानवी सौन्दर्य को अपनी भावना से संजोकर उन्होंने कामायनी जैसे महाकाव्य का सृजन किया, जो हिन्दी साहित्य जगत में अमूल्य धरोहर के रूप में विद्यमान है।


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पुनः भेंट होगी...
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6 टिप्‍पणियां:

  1. गज़ब का सौंदर्य दर्शन
    “सैसव जौवन दुहु मिल गेल।
    स्रवनक पथ दुहु लोचन लेल।।
    वचनक चातुरि लहु-लहु हास।
    धरनिये चाँद कएल परगास।।”
    सादर नमन

    जवाब देंहटाएं
  2. सचमुच असीम सौंदर्य से परिपूर्ण अंक।
    सभी रचना नहीं पढ़ पाये परंतु फिर भी स्वाद तो
    अनूठा आया।
    प्रणाम दी
    सादर।

    जवाब देंहटाएं
  3. सौंदर्य.. बहुत सुंदर सराहनीय अंक।

    जवाब देंहटाएं

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