।।प्रातः वंदन।।
“हमारी दृष्टि भाषित हो रही है, तुमको सूचित हो,
युयुत्सा फिर पिपासित हो रही है, तुमको सूचित हो,
उजाला धर रहा है चन्द्रमा दिन की मुंडेरो पर,
निशा हर दिन प्रकाशित हो रही है, तुमको सूचित हो..!”
अज्ञात
बुधवार की सुबह खास लिकों के संग..
सब दुखों का नाश हुआ ,
सुख समृद्धि का वास हुआ ,
मां #लक्ष्मी का ऐसा #आशीर्वाद हुआ।
आसान सब काज हुआ..
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#फिल्मउत्सव
नवीं दसवीं में सि एस आर, चंदामामा, पराग पढ़ते पढ़ते कब मायापुरी, सिने व्लिटज, स्टार डस्ट , डेबोनेयर, के माया जाल में फंसी पर फंसते हुए मज़ा बखूब आया !!..
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हमारे ग्राम में एक छोटा सरोवर
है जल से लबालव
कभी जल सूखता नहीं उसका
वर्ष भर जल की कमी न होय वहां..
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दिवाली की अगली भोर
सूर्य ग्रहण लगने वाला है
किंतु अभी है शेष उजाला
उन दीयों का
जो बाले थे बीती रात
जगमग हुईं थी राहें सारी
गली-गली, हर कोना भू ..
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यह बूढ़ा दीपक,
जो काला हो गया है,
जल-जल कर हुआ है,
कहीं-कहीं से टूट भी गया है,
यह ऐसा नहीं था,
जब कुम्हार ने इसे बनाया था..
।।इति शम।।
धन्यवाद
पम्मी सिंह 'तृप्ति'...✍️
दीपोत्सव की शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंव्यस्तता के बावजूद इतना प्यारी प्रस्तुति
आभार
सादर
आदरणीय मेम, मेरी रचना ब्लॉग "मां लक्ष्मी का ऐसा आशीर्वाद हुआ " को इस अंक में सम्मिलित करने के लिए बहुत धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाएं बहुत ही उम्दा है सभी आदरणीय को बहुत बधाइयां एवं सभी को दीपावली की अनेकों शुभकामनाएं ।
सादर ।
पम्मी जी, आलोक पर्व पर भाव पूर्ण लिंकों से सुसज्जित चर्चा रंगोली की प्रस्तुति पर बधाई ! शुभ हो दीपावली !
जवाब देंहटाएंसुप्रभात! गोवर्धन पूजा व भाईदूज के अवसर पर बधाई, सुंदर भूमिका और पठनीय लिंक्स का चयन आज के अंक को विशिष्ट बना रहा है, आभार!
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
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