नमस्कार ! आज जिस समय ये पोस्ट बना रही हूँ तो दिमाग में और ब्लॉग्स पर भी गाँधी जी और शास्त्री जी छाये हुए हैं ..... बस अब ये नाम केवल तिथियों में ही सिमट कर रह गए हैं ..... सच तो ये है कि वक़्त के साथ हर एक के विचार भी बदलते रहते हैं ....... ज़िन्दगी में कब क्या जान कर विचार परिवर्तित हो जाएँ नहीं कहा जा सकता ......बचपन से पढ़ते आये कि - दे दी हमें आज़ादी , बिना खड्ड - बिना ढाल ......... लेकिन क्या यही सत्य है ? आज इस पर कोई वाद - विवाद नहीं ........२००९ में ऐसे ही पढ़ते सोचते कुछ यह विचार मन में बना था ....
गाँधी -
जय जवान ! जय किसान
गांधी जी के प्यारे हो
भारत मां के दुलारे हो
तुम ही उगते सितारे हो.
शास्त्री जी के थे अरमान
बढे देश की हरदम आन
विश्व गांव में हो पहचान
और इस बाल कविता के बाद ज़रा पढ़ें कि आखिर गाँधी भारत के लिए क्या सोचते थे ....... उनके मन में आज़ाद देश की कैसी छवि थी जो आज केवल सपना ही बन कर रह गयी है .
गाँधी जी के सपनों का भारत
जहाँ हर नागरिक को समानता का अधिकार मिलेगा
मिट जायेगा अस्पृश्यता का नामोनिशान
शिक्षा के वरदान से हर बच्चे का सामर्थ्य खिलेगा
दिया जायेगा सत्य और अहिंसा के मूल्यों को पूरा सम्मान
अब सपना तो बस सपना ही होता है ....... लोग यथार्थ भी देखते हैं ....और यथार्थ देखते हुए पढ़िए एक गीत
....
गाँधी जी का नजराना..गीत
कहे तराज़ू लाओ उनका चश्मा तोलें,
लेंस लगा है या शीशे का,पर्तें खोलें ।
देख रहा सब वो भी होगा पर चुपके से,
निष्कर्षों के घालमेल में मिर्ची घोलें ॥
अब गाँधी का नजराना क्या ? मैंने तो गाँधी पिक्चर में देखा था कि आज़ादी के बाद भी अपनी बात मनवाने के लिए गाँधी बाबा अनशन पर थे तो एक व्यक्ति अपने फेंटे में से रोटी उछल कर उनकी तरफ फेंकता है .... आपको भी याद होगा ..... खैर यहाँ बात रोटी की हो रही है कि भूख का रिश्ता क्या होता है .....
वैसे तो रोटी का आकार
कुछ भी हो सकता है,
पर भूखे लोगों को भाती हैं
गोल-गोल रोटियाँ.
रोटी गोल होती है,
वैसे सही है रोटी गोल हो या चौकोर भूख तो मिटा ही देगी , फिर भी न जाने क्यों रोटी गोल ही अच्छी लगती है ..... शायद मानसिकता ही है ये .......रही मानसिकता की बात तो सच हर जगह ही मानसिकता ही है जो सबके व्यवहार को प्रभावित करती है .... बच्चों में एक लडके के माता -पिता की मानसिकता एक लड़की के माता- पिता से भिन्न होती है ..... नहीं लगता आपको ? चलिए जा कर पढ़िए ये लघु कथा ....
पहली मुलाक़ात
मैं अब भी सोचता हूँ...
मैं चुपचाप हूँ,
इसलिए नहीं कि
कहने को कुछ नहीं,
बल्कि इसलिए कि
कुछ कहे-सुने
के दरम्यान
मेरी धड़कनें खो जाती है….
सादर नमन
जवाब देंहटाएंआज का अंक
वास्तविक गांधी-शास्त्री अंक ही है
कल तो हम चलताऊ अंक बना दिए थे
आभार
सादर
यशोदा ,
हटाएंइस मंच पर चलताऊ कुछ नहीं होता । तुम्हारी मेहनत ही है जो ये मंच निर्बाध चल रहा है ।
आभार ।
आभार दीदी
हटाएंसुंदर प्रस्तुति.आपका आभार
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद ।
हटाएंगाँधी और शास्त्री जी को नमन
जवाब देंहटाएंऔर आपका वंदन
ज्यादा तीन पाँच न करते हैं
उम्दा प्रस्तुति
सटीक टिप्पणी । 😄😄 आभार
हटाएंगाँधी जी और शास्त्री जी मय आज के अंक में मन पाए विश्राम जहाँ को स्थान देने के लिए आभार संगीता जी, महापुरुष कभी भी अप्रासंगिक नहीं होते, उन्हें बार-बार याद किया जाएगा और पढ़ा जाएगा
जवाब देंहटाएंसही में कि महापुरुषों को बार बार पढ़ा जाएगा और उनके विचारों का विश्लेषण भी किया जाएगा । किसी के भी कुछ कहने से उनकी गरिमा कम नहीं होगी । आभार अनिता जी ।
हटाएंग
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर कविताओं, आलेख, लघुकथा से सुसज्जित गाँधी जी व शास्त्री जी को समर्पित सुन्दर अँक…!
-संगीता जी की मर्मस्पर्शी कविता `मुस्कुराती तस्वीर ‘ बहुत सुन्दर रचना…!
-जय जवान जय किसान …शास्त्री जी पर साधना जी का बहुत महत्वपूर्ण आलेख !
-भारती दास जी की कविता गाँधी जी के तीन बन्दर…सुन्दर कविता..!
-अनीता जी की गाँधी जी के सपनों का भारत …सपनों के जगाती एक कविता…!
जिज्ञासा जी की कविता-गाँधी जी का नजराना बहुत सुन्दर भावपूर्ण कविता…!
- ओंकार जी की रचना - रोटियाँ- मर्मस्पर्शी रचना…!
- शेफालिका जी की बाल मनोविज्ञान को दर्शाती बहुत सुन्दर लघुकथा ..!
- शेखर सुमन की एक पंक्ति ने ही दिल चुरा लिया…`जब रात को बहुत तेज नींद आती है न, तो मैं चाय में चाँद घोर कर पी जाया करता हूँ…’ पता नहीं क्यों ब्लॉग पर लिखना छोड़ दिया कितना सुन्दर लिखते हैं ।
- सभी रचनाकारों और संगीता जी को बहुत शुभकामनाएँ और बधाई मेरी तरफ़ से भी🙏
उषा जी ,
हटाएंआज तो आप प्रथम ही आ गईं लगता है । विशेष ख्याल रखा जिससे हाँफ न जाएँ पढ़ते पढ़ते । 😄😄😄
सभी रचनाओं पर आपकी विशेष टिप्पणियाँ इस प्रस्तुति को सार्थकता प्रदान कर रही हैं ।
हार्दिक आभार
बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार कविता जी ।
हटाएंबापू, शास्त्री जी पर फोकस्ड हलचल। बहुत बढ़िया।
जवाब देंहटाएंवाह जी , स्वागत है । शुक्रिया ।
हटाएंबहुत सुंदर, पठनीय अंक !आजकल थोड़ी व्यस्तता है, पढ़कर फिर उपस्थिति होगी,
जवाब देंहटाएंनमन आपको🌺🙏
जानती हूँ आज कल सब व्यस्त हैं । इंतज़ार रहेगा । आभार
हटाएंअत्यंत सुन्दर संकलन संगीता जी ! आप वाकई सूत्रों का चयन करते हुए बड़ी सूक्ष्मता के साथ कई बातों का अध्ययन विश्लेषण करती हैं ! मेरे आलेख को आज की हलचल में सम्मिलित किया आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार संगीता जी ! सप्रेम वन्दे !
जवाब देंहटाएंसाधना जी ,
हटाएंप्रस्तुति आपको पसंद आई , प्रशंसा हेतु आभार ।
बहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआपको भी दुर्गा पूजा तथा दशहरा की ढेरों शुभकामनाएं
हार्दिक आभार भारती ।
हटाएंहार्दिक शुभकामनाएँ वैचारिक और मननीय प्रस्तुति के लिए।
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति को मान देने के लिए हार्दिक आभार , अमृता ।
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