।प्रातः वंदन ।
विजयादशमी का पर्व अच्छाई की बुराई पर जीत का प्रतीक है, तो क्यों न हम सब विजयदशमी का पर्व स्वयं पर विजय प्राप्त करें क्योंकि अंतर्मन में विराजित गलत विचारों प्रतिकार भी किसी चुनौती से कम नहीं होता।चलिए नियत समयानुसार आज की प्रस्तुति में ...क्षितिज के छोरों पर उगती सुनहरी भोर और अलग सी दिखती शब्द विभोर✍️
जाने क्यों कँटीली हो गई डगर
सुबह की बातें-12
पत्ते झरते हैं तो शोर नहीं होता। पत्ते उगते हैं तो शोर नहीं होता। हम चीख कर रोते हुए जन्म लेते हैं। गूंगे पैदा हुए तो भी दूसरे शोर करते..
🌸
भेदभाव का खुला दस्तावेज है वक्फ अधिनियम 1995
🌸
रेत की आँधी चले तो
कौन कर्मठ आ बुहारे
भाग्य का पलड़ा झुके तो
कौन बिगड़ी को सुधारे..
🌸
।।इति शम।।
धन्यवाद
पम्मी सिंह 'तृप्ति'..✍️
दशहरा पर्व पर अशेष शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंसादर
सुन्दर सूत्रों से सजी बेहतरीन प्रस्तुति में मेरे सृजन को सम्मिलित करने के लिए हार्दिक आभार पम्मी जी ! सबको विजयदशमी पर्व की शुभकामनाएँ ।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसंतुलित सुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंप्रातः वंदन सौम्य विचार।
सभी रचनाकारों को बधाई।
मेरी रचना को पाँचलिंक पर रखने के लिए
हृदय से आभार।
सादर सस्नेह।