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मंगलवार, 4 अक्टूबर 2022

3536 ..सुनी सब की करी मन की

सादर अभिवादन
आज नवमी और कल
दशहरा..
देखते ही देखते साल गुज़र गया
.......
ब्लॉग नमस्ते से एक लिंक आया
पर खेद है कि
वह लिंक कल ही कहीं और प्रकाशित हो गया
फिर भी आप पढ़िए

बाकी की रचनाएँ...



तोलती रहती है जिंदगी
हमें अपने तराजू पर
कभी कहीं कुछ ज्यादा हुआ
तो कभी कहीं कुछ कम ….
बहुत कम ही होता है
जब...
सब नाप तौल में
एकदम बराबर हो
वर्ना तो बस
बन्दर बाँट ही लगी रहती है
कभी खुशियों का पलड़ा भारी
तो कभी आंसुओं का !!




 ना किसी से कुछ चाहा
ना किया अलगाव  ही
सब से समता का भाव रखा
पर सुनी सब की करी मन की |




चिपचिपी किचन टाइल्स, गंदा मार्बल, बाथरूम टाइल्स को साफ़ करने के लिए अपनाये ये बहुत ही आसान और कारगर तरीका...जिससे आपका काम चुटकियों में हो जाएगा।



ज़िन्दगी की हसीन पनाहों में यूँ ही फिरता हूँ ,
तेरी तस्वीर को आँखों में लिए फिरता हूँ !!

आवारगी की ये कैसी इन्तेहाँ हो गई
तेरे संग धूप में छाया में यूँ ही फिरता हूँ




मातृभाषा माँ है ।
भावनाओं का विश्वकोश,
प्रथम भाव संस्कार है ।
व्यक्तित्व का प्रतिबिंब,
अस्तित्व का आधार है ।
.......
थोड़ा जायका बदली करें...
वैज्ञानिकों से सब हो गया पर
बिना स्मेल वाली शराब 
नहीं बनी सालो से
आज बस

सादर 

5 टिप्‍पणियां:

  1. सुनी सबकी करी अपने मन की सुन्दर रचनाओं से सजा संकलन

    जवाब देंहटाएं
  2. सुंदर लिंक्स। मेरी रचना को पांच लिंको का आंनद में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, यशोदा दी।

    जवाब देंहटाएं
  3. सुन्दर प्रस्तुतीकरण, मेरी रचना को स्थान दिया हार्दिक धन्यवाद आपका!!🙏🙏💐

    जवाब देंहटाएं

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