।।प्रातः वंदन ।।
शब्द व्यथित, अक्षर सारे शान्त
कैसे कहा जाये सकल वृतान्त
ऐसी दुविधा में भी, गुनगुनाते हुए...
अभिव्यक्ति के नए आयाम बुनना
कलम आज तू मेरी सुनना!
संध्याबेला में प्रातपहर की यादें चुनना
कलम आज तू मेरी सुनना!
अनुपमा पाठक
इन आखिरी पंक्तियों के साथ आज की प्रस्तुति ..कि कलम आज मेरी चुनना..✍️
हम न लड़खड़ाते हैं
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ईश्वर की लीला'
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वैतरणी
टाँक दिया रूह को उस पीपल की शाखों पर l
दर्द कभी रिस्ता था जिसकी कोमल डालों से ll
सावन में भी पतझड़ बातों से मुरझा गया पीपल l
सूना हो गया चौराहा उजड़ गया पीपल राहों से..
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जब नागपंचमी के दिन नारायणदत्त तिवारी ने मुलायम से दूध पीने के लिए कहा
दयानंद पांडेय
बीते 9 जुलाई को जब साधना जी का निधन हुआ तभी समझ आ गया था कि अब मुलायम भी महाप्रस्थान की राह पर हैं और आज तीन महीने बाद वह भी उसी मेदांता अस्पताल से विदा हो गए। इस
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श्वास समिधा बन सँवरती
प्रीत जगती की सुलगती,
मोह कितना छल रहा था
सहज सुख अब पल रहा है
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।।इति शम।।
धन्यवाद
पम्मी सिंह 'तृप्ति'..✍️
अप्रतिम अंक....
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
सुप्रभात ! कलम से गुजारिश करती हुई सुंदर भूमिका और पठनीय रचनाओं से सजी हलचल, आभार मुझे भी आज के सफर में शामिल करने हेतु !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर संकलन
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