अग्रसर होता ये
पाँच लिंकों का आनन्द...
अभिभूत हूँ मैं
आप सभी ने इसे
हाथों-हाथ लिया...
चलिए आज की रचनाओं की ओर...
गणपति, गणनायक हरें, सभी के दुःख क्लेश।
शिव-गौरी के लाड़ले, प्रथम पूज्य गणेश।।
क्या फर्क पड़ता है
मैं स्त्री हूँ या पुरुष
मानव सुलभ इर्ष्याओं से तो ग्रस्त रहता ही हूँ
आह्वान हे बन्धु फिर से
कृण प्रेरित चीर का,
अन्याय के प्रतिकार में विकर्ण के स्वर का,
चाँद को हाथ में थामे
पिघलते पारे सी
बहा करती है
नदी रात भर
नहीं तुम मिले मै गमन कर रहा हूँ
यहाँ रात में अब शयन कर रहा हूँ
न तस्वीर से ही मुलाकात होती
मिलो सामने यह जतन कर रहा हूँ
कल अतिक्रमण हुआ
अच्छा ही हुआ
किसी न किसी को तो करना ही था
आभार.....
आज्ञा दें...
सादर
यशोदा
सुंदर प्रस्तुति यशोदा जी ।
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जवाब देंहटाएंशुभप्रभात...
सुंदर लिंकों का चयन....
बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति हेतु आभार!
जवाब देंहटाएंसभी को श्री गणेश जन्मोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएँ।
सुन्दर लिंक्स, अच्छी हलचल....मेरी पोस्ट शामिल करने के लिए आभार, गणेशोत्सव की शुभकामनाएँ
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