रूठता है
उड़ता है
उड़ता चला जाता है
दूर..कहीं दूर
फिर रूकता है
ठहरता है, सोचता है, आकुल हो उठता है
-स्मृति आदित्य
चलते हैं लिंक्स की ओर..
गाद भरी
झीलों की
भाप से निकलते हैं |
ऐसे ही
मेघ हमें
बारिश में छलते हैं |
हँस कर जीना सीख लिया
हर पल रोना धोना क्या
धीरे धीरे कदम बढ़ा
डर कर पीछे होना क्या
छुट्टी !
मतलब नियमों- अनुशासनों से खुली छूट ,
लादी गयी व्यवस्था से मुक्ति ,
मनमाने मौज से रहने का दिन
हम जो गिर-गिर के संभल जाते तो अच्छा होता
वहशत ए दिल से निकल पाते तो अच्छा होता
बदनसीबी ने कई रंग दिखाए अब तक
बिगड़ी तक़दीर बदल पाते तो अच्छा होता
हम्म हम्म !
इको करती, गुंजायमान
हमिंग बर्ड के तेज फडफडाते
बहुत छोटे छोटे पर !
आज्ञा दें यशोदा को
फिर मिलते हैं...
सुनिये कुछ नया-पुराना
आपका हृदय से आभार |बहुत ही अच्छे लिंक्स |
जवाब देंहटाएंtahe dil se abhar , sundar links hai.
जवाब देंहटाएंशुक्रिया.......
जवाब देंहटाएंसुंदर सूत्र संकलन, मेरी रचना को यहाँ स्थान देने के लिए हार्दिक आभार
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