कल इन लोगों की
हरतालिका तीज
सम्पन्न हुई...
आज ये सब निढाल हैं..
आज अतिक्रमण किया है मैंने
देखिए आज की रचनाएँ....
कलम ने उठकर
चुपके से कोरे कागज़ से कुछ कहा
और मैं स्याही बनकर बह चली
मधुर स्वछ्न्द गीत गुनगुनाती,
उड़ते पत्तों की नसों में लहलहाती।
देखे गये तमाशे
को लिखने पर
कैसे सोच लेता है
कोई तमाशबीन
आ कर अपने ही
तमाशे पर ताली
जोर से बजायेगा
....कल हिन्दी का दिवस आया और
बीत गया
सुबह से ही प्रतियोगिताएं
हिन्दी का सामान्य ज्ञान
जानने की सभी को पड़ी थी
भारतेन्दु हरिश्चंद्र
हिन्दी के प्रथम कवि थे
बहुतों ने सही उत्तर लिखा
पुराने बक्से में झाँका तो बहुत कुछ पुराना सामान था। ये सामान पुराना तो था लेकिन कनिका कि यादें नई कर गया। एक डिबिया में एक अंगूठी थी। जिस पर यीशु और मरियम की तस्वीर थी। आयरिश ने बहुत प्यार से दी थी उसे। विवाह के बाद जब एक बार ऊँगली में पहनी तो पति देव ने कहा सोने कि है क्या ये ! वह हंस कर बोल पड़ी थी कि नहीं ये तो प्लेटिनम से भी महंगी है।
तमसो मा ज्योतिर्गमय--
हम बाते कर ही रहे थे कि उनकी बीस वर्षीय पोती हाथ में मुंशी प्रेमचन्द का उपन्यास' सेवा सदन' लिए हमारे बीच आ खड़ी हुई ,दादी क्या आपने यह पढ़ा है ?आपसी रिश्तों में उलझती भावनाओं को कितने अच्छे से लिखा है मुंशी जी ने |
ऐसा किया है मैंनें अतिक्रमण...
बाबुल की सोन चिरैया
अब बिदा हो चली
महकाएगी किसी और का आँगन
वो नाजुक सी कली
माँ की दुलारी
बिटिया वो प्यारी
हुए धुप से बेहाल
पीत पड़े पत्ते बेचारे
कशमकश में उलझे
अपनी शाखा से बिछुड़े
झड़ने लगे खिरने लगे
तसव्वुर में छिपे थे जो नजारों में उतारा है
जरा इतना तो कह दो जान तुझपे आज वारा है
किसी की ख्वाहिशों में तुम सदा शामिल बने रहते
कभी यह देखना तुम बिन पिता कितना बिचारा है
अतिक्रमित रचनाओं के सूत्र के साथ
आज कुल आठ रचनाएँ प्रस्तुत हैं
आज्ञा दें दिग्विजय को..
सुंदर शब्द चयन अनवरत बहती कृति
जवाब देंहटाएंसुंदर शब्द चयन अनवरत बहती कृति
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति दिग्विजय जी । आभार 'उलूक' का सूत्र 'औरों के जैसे देख कर आँख बंद करना नहीं सीखेगा किसी दिन जरूर पछतायेगा' को स्थान देने के लिये ।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद दिग्विजय जी मेरी रचना शामिल करने के लिए |
जवाब देंहटाएंदिग्विजय जी मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद
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