14 सितम्बर हिंदी दिवस है
लेकिन हिंदी दिवस
एक दिन या एक महीने के लिए नहीं
अपितु हिंदी दिवस रोज मनाएँ।
हिंदी सिर्फ भाषा नहीं मातृभाषा है,
हिंदी का विकास हमारा विकास है।
शान से कहें हिंदी है हम।
हिंदी दिवस पर विशेष शुभकामनाएँ।
-शशि पुरवार
अपरिहार्य कारणों से
थोड़ा अवयवस्थित हो गया हूँ
ये मैंनें कल पढ़ा...
और प्रभावित हुआ
आप भी देखिये....
स्वभाषा गिरा
आंग्ल को प्रतिष्ठा दी,
अपनों ने ही।
मैं सो सकूं मौला मुझे इतनी थकान हो
आकाश को छूती हुई चाहे उड़ान हो
सुख दुःख सफ़र में बांटना आसान हो सके
मैं चाहता हूँ मील के पत्थर में जान हो
कर लो हिन्दी से मुहब्बत दोस्तो
है बड़ी उसमें नज़ाकत दोस्तो
रूह तक में वो समाती जा रही
लफ्ज़ में रखती नफ़ासत दोस्तो
कुछ पल तुम्हारे कुछ मेरे
आओ बाँट लें
जिंदगी में यूँ तो
हम एक ही हैं
वहां- उस गांव में, कौन रहता है अब...?
जहां सुबह तुलसी चौरे पर दिया बालती
जोर जोर से घंटियां हिलाती अम्मा से
हम, सुबह अंधेरे ही उठा देने के गुस्से में,
कहते अम्मा बस करो, हम जाग गए हैं,
अम्मा आरती गातीं, आंखों को तरेरतीं,
हमें चुप रहने का संकेत करतीं थीं जब....?
व्यवस्था से हटकर आज एक लिंक अधिक....
विश्व फलक पर चमक रही है
हिंदी मधुरम भाषा
कोटि कोटि जन के नैनों की
सुफल हुई अभिलाषा.
आज्ञा चाहता है दिग्विजय
बच्चों को नींद आ रही है...
सुंदर प्रस्तुति दिग्विजय जी ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआभार
हिंदी दिवस का मान बढायें हिंदी अपनाएँ ...
जवाब देंहटाएंआभार मुझे भी शामिल करने का ...