शुक्रवारीय अंक में
आपसभी का स्नेहिल अभिवादन।
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भारतीय हिंदू त्योहारों के समृद्ध परपंरा में
शक्ति-जागरण के विविध रूप दृष्टिगोचर हैं। । मार्कण्डेय पुराण में दुर्गासप्तशती वर्णित है। पुराण ज्ञान की ओर ध्यान आकृष्ट करते हैं ये पुराने आख्यान को नवीनता देकर सत्य की ओर उन्मुख करने के साधन हैं। दुर्गा के नौ रूपों को क्रम से समझना स्वयं में शक्ति का संधान है।
शक्ति की उपासना के लिए व्रत, संकल्प, पूजा की नवरात्रियों में व्यवस्था कई कथाओं और मान्यताओं पर आधारित है। विविध देव-तेज का संघनित-एकीकृत बल ही शक्ति है जिससे अंधकार हार जाता है। देवीकवच में शक्ति के नौ रूपों का वर्णन है। एक-एक रूप के लिए एक-एक दिन निर्धारित है। बिखरी हुई शक्ति को एकीकृत करना और इसी एक महाशक्ति के विविध रूपों को समझना ही नवरात्रि का उद्देश्य है। व्रत करके, पूजा में प्रवृत्ति के माध्यम से संसार से निवृत्त होकर स्वयं में शक्ति को जगा लेने के लिए ही नवरात्रि है। नवरात्रि व्रत शरीर और मन का शोधन करता है। देवी उपासना की महत्ता का गुणगान अनंत है इसलिए
आइये अब अध्यात्मिकता से सांसारिकता की ओर उन्मुख हों, आज के अंक की रचनाओं का आस्वादन करें।
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बरसत भीगी भीज लुकानी
कंबहुँ करी न आनाकानी ।
चलनी भीतर रोक न पाई
अपना जोगा निथरा पानी ॥
ना घइला मैं ना थी रसरिया
ना कुइयाँ की धार बलम जी ॥
गुमनाम याद
तुम्हे एक बार छूने , महसूस करने
और सुनने की चाह लिए
जीवन रीत जाएगा,
लेकिन तुम नहीं आओगे।
इसलिए तुम्हें नहीं सोचती
तुम सम्हले नहीं
तुम्हारी यह लड़खड़ाहट
शायद तुमसे चिपकी ही रहेगी,
दीवार पर चिपके,
किसी इश्तिहार की तरह। ।
सवाल
माँ खामोश थी ! आँखों के सामने कई खूब सम्पन्न मित्रों, परिचितों, नाते रिश्तेदारों के चहरे घूम गए जो विदेशों में बसे अपने होनहार प्रतिभाशाली बच्चों को अंतिम बार देख लेने की साध मन में लिए ही चिर निंद्रा में सो गए !
उऋण
"बिना फल वाला और उसकी लकड़ी का भी कोई उपयोग नहीं, भले ही पेड़ पुराना और बुड्ढा हो गया हो लेकिन तपती धूप में लोगो को छाँव देता हो, यदि ऐसा पेड़ आस -पास हो तो प्रदूषण और गर्मी से बेहाल नहीं हो सकते। पेड़ों को बचाना उसके प्रति दया दिखाना नहीं है, बल्कि अपने मानव जीवन के प्रति दया दिखाते हैं।
आज के लिए इतना ही
कल का विशेष अंक लेकर
आ रही है प्रिय विभा दी।
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देवी उपासना की महत्ता का गुणगान अनंत है इसलिए
जवाब देंहटाएंअब अध्यात्मिकता से सांसारिकता की ओर उन्मुख हों
बहुत सुंदर अंक
सुन्दर संकलन
जवाब देंहटाएंनवरात्रि के उद्देश्य पर भरपूर प्रकाश डाला है ।ये व्रत , पूजा यदि इसलिए की जाती है कि बस करनी है तो नवरात्रि का उद्देश्य पूरा नहीं होता । अपने अंदर शक्ति का संचार दृढ़ निष्ठा और संकल्प से ही सम्भव है । भूमिका के माध्यम से नवरात्रि के महत्त्व को समझते हुए बेहतरीन सूत्रों का समावेश किया है । आभार ।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंशुभकामनाओं के संग हार्दिक आभार छुटकी
जवाब देंहटाएंश्रमसाध्य प्रस्तुति हेतु साधुवाद
प्रिय श्वेता,इस सुन्दर अंक पर कल उपस्थित नहीं हो सकी क्षमा प्रार्थी हूँ।नवरात्रों का अपना विज्ञान है और आध्यात्मिक महत्व है।तंन और मन की शक्ति को संचित करने का ये ऋतु संधिकाल बहुत अनुपम है।भारतीय संस्कृति ने बहुत ही सुंदर ढंग से अलग -अलग मौसमों का सार्थक वर्गीकरण किया है।तुम्हारी लिखी भूमिका शानदार है सभी सम्मिलित रचनाएँ भावपूर्ण हैं।सभी को सादर नमन और शुभकामनाएं।तुम्हें आभार और प्यार ये अंक सजाने के लिये।
जवाब देंहटाएंहर लिंक पर गई, विविधतापूर्ण अंक ।
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को शामिल करने के लिए आपका हार्दिक आभार।