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शनिवार, 3 सितंबर 2022

3505 ... आगमन

     हाज़िर हूँ...! पुनः उपस्थिति दर्ज हो...

'ऑरेंज सिटी या नारंगी नगर' मुंबई और पुणे के बाद महाराष्ट्र का तीसरा सबसे बड़ा शहर, पूर्व में नागपुर भोंसले शासकों की राजधानी थी और अब विदर्भ क्षेत्र के केंद्र बिंदु को

–1 सितम्बर से 4 सितम्बर 2022 अवलोकन कर रही हूँ यानी अभी नागपुर में है हमारा

आगमन

थोड़ा सूखा, थोड़ी बाढ़

इस दुनिया में ऐसा कुछ नहीं

जो आदम के भीतर न हो

ऐसा कोई भाव नहीं, ऐसा कोई रस नहीं

ऐसा कोई फूल, ऐसी कोई गन्ध नहीं

आगमन

स्नेह के सानिध्य से तूं ऐसे अभिभूत हो ।

हो दुविधा,आशंका कभी संशय,रूसवा

सुलझाना आत्मियता से गिला,शिकवा

इक दूजे से आहत न हों ऐसे करतूत हो

प्रेम सौहार्द्र परस्पर मेें गहरा मजबूूूत हो ।

कथ्य

रूसी लेखक मैक्सिम गोर्की ने एक बार नये लेखकों को संबोधित करते हुए कहा था- यह मत कहो कि मुझे विषय दो, यह कहो कि मुझे आंख दो।किसी भी कथ्य पर रचना विकसित कैसे होती है-- बहुआयामी और चौतरफा ढंग से।एक बार दिमाग में यह दर्ज हो गया कि हमें इस कथ्य को कहानी में ढालना है तो सहायक तत्त्व खुद ब खुद सक्रिय हो जाते हैं। कथ्य के अनुरूप वातावरण,स्थान, परिवेश, चरित्र, संस्कृति और संवाद आकार लेने लगते हैं।

थोड़ा सा रो लें

‘बच्ची है नन्हीं सी सुन्दर है परियों सी

जिस दिन से भूखी है वो चौदह नवम्बर थी।

थोड़े चावल इक रोटी बस इतना कहती

एक रंग की इक रोटी तो तीन तिरंगे की

क्या होती आजादी, वो मुझसे कहती’

मिट्टी में मिल जायेगा

चोरी छुपे वार करने के जो बना रहे हैं मनसूबे 

दुश्मन देश युवा भारत की ताकत नहीं जानते हैं 

गीदड़ को यदि मौत लिखी जो पास शहर के आएगा 

देशद्रोहियों को कविता उपदेश न हरगिज भायेगा 

बोयेगा जो शूल बताओ फूल कहाँ से पायेगा

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पुनः भेंट होगी...
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6 टिप्‍पणियां:

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