शुक्रवारीय अंक में
आपसभी का स्नेहिल अभिवादन।
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जीवन की तरह ही मौसम के दो रंग -
गुनगुनी किरणों का
बिछाकर जाल
उतार कुहरीले रजत
धुँध के पाश
चम्पई पुष्पों की ओढ़ चुनर
दिसंबर मुस्कुराया
शीत बयार
सिहराये पोर-पोर
धरती को छू-छूकर
जगाती कलियों में खुमार
बेचैन भँवरों की फरियाद सुन
दिसंबर मुस्कुराया
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वो भी अपनी माँ की
आँखों का तारा होगा
अपने पिता का राजदुलारा
फटी स्वेटर में कंपकंपाते हुये
बर्फीले हवाओं की चुभन
करता नज़र अंदाज़
काँच के गिलासों में
डालकर खौलती चाय
उड़ते भाप के लच्छियों से
बुनता गरम ख़्वाब
उसके मासूम गाल पर उभरी
मौसम की खुरदरी लकीर
देखकर सोचती हूँ
दिसंबर तुम यूँ न क़हर बरपाया करो...।
आइये चलते हैं अब आज की रचनाओं के संसार में-
मौन के चाक पर शब्द चढ़ते रहे
घूमते-घूमते मर्म गढ़ते रहे ।
गढ़ लिए और मिटाए, मिटाते रहे
भाव बनते रहे, भाव मिटते रहे ।
मौन दृढ़ हो गया और होता गया
मुस्कुराने का हथियार शामिल हुआ ॥
अनायास झरती
बूंदों की लड़ी ,
वो घड़ी ,
साँसों की सरगम में ,
भावों की चहकन में
गुंथी हुई .....
कभी सम्मान की दुहाई देकर
कभी छोटा बताकर
कभी बड़ा और समझदार बताकर
तो कभी एक तमगा देकर
भावनात्मक रुप से छलकर
समेट दिया जाता है उनका वजूद
और रख दिया जाता है
हमेशा हाशिये पर ही
बागों में जब कोयल कुके.....
और सावन की घटा छा जाये.......
उलझे से मेरे बालों की गिरहा में.....
दिल तुम्हारा उलझ सा जाये .....
आ के अपनी उंगलियो से....
उस गिरह को सुलझा जाना
जो हो तुम्हारे दिल में भी कुछ ऐसा.....
तब तुम मेरे पास आ जाना
और चलते-चलते
इस निबन्ध को पढ़ते हुए हम अपने समय और समाज से हो कर गुजरते हैं। इसीलिए ये आज भी प्रासंगिक लगते हैं। द्विवेदी जी का एक महत्त्वपूर्ण ललित निबंध है
यह तो स्वयंसिद्ध बात है कि दुनिया में सुख की अपेक्षा दु:ख अधिक है, अर्थात् रोदन हास्य से अधिक है। अब सारी दुनिया के रोदन को बराबर-बराबर बांट दीजिए और हंसी को भी बराबर-बराबर बांट दीजिए। स्पष्ट है कि सबको रोदन हास्य से ज्यादा मिलेगा। अब रोदन में से हास्य घटा दीजिए। कुछ रोदन ही बचा रहेगा। इसका मतलब यह हुआ कि जो कुछ मिलेगा, उससे फूट-फूट कर तो नहीं रोया जा सकता, पर चेहरा जरूर रुआंसा बना रहेगा। यह युक्ति मुझे तो ठीक जंचती है।
गजब की रसभरी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
दिसंबर आज दूसरा दिन है
जवाब देंहटाएंअंदाजा लगा सकती हूं
दिसंबर तुम यूँ न क़हर बरपाया करो
सादर
बहुत ही सुंदर हलचल प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंदिन बनाने के लिए शुक्रिया प्रिय श्वेता जी । पढ़ती हूं लिंक्स पर जाकर ।मेरी रचना को शामिल करने के लिए आभार ।सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंदिसंबर पर दोनों अभिव्यक्तियाँ विशेष हैं ।
जवाब देंहटाएंयूँ तो मौसम एक ही होता है लेकिन अलग अलग लोगों पर एक ही मौसम अलग अलग प्रभाव डालता है । असल में देखने का नज़रिया अलग अलग होता है । सभी लिंक्स बेहतरीन दिए हैं । हज़ारी प्रसाद जी का लेख विशेष रहा । सुंदर प्रस्तुति के लिए आभार ।
शानदार
जवाब देंहटाएंशीत बयार
सिहराये पोर-पोर
धरती को छू-छूकर
जगाती कलियों में खुमार
बेचैन भँवरों की फरियाद सुन
दिसंबर मुस्कुराया
सादर
एक बात तो बताओ
जवाब देंहटाएंजनवरी से दिसंबर
पूरे तीन सौ पैंसठ दिन
और...
दिसंबर से जनवरी?
मात्र 31 दिन
ये कैसे..
सादर
आदरणीया मैम , बहुत ही सुंदर , विविध रचनाओं की रुचिकर प्रस्तुति । आदरणीया जिज्ञासा मैम के द्वारा मौन का अस्त्र और हिन्दी साहित्य के महान लेखक श्री हजारी प्रसाद द्विवेदी जी का निबंध बहुत सुंदर और विशेष लगा । निबंध पूरा समझ नहीं पाई , पर जितना समझ पाई हूँ , समाज पर एक व्यंग्य है । समाज के आडंबरों पर, जहाँ साहित्यकारों के फूट -फूट कर रोने की नहीं पर रूआँसे दिखने की बात की है और अंत में जब कहा है कि जो पढ़ते हैं वह आलोचना नहीं करते और आलोचक पढ़ते नहीं । पर फिर भी मुझे ज्ञात है कि ठीक -ठीक नहीं समझ पाई हूँ , मेरा अनुरोध है कि आप सब मुझे इस निबंध को और गहराई से समझने में सहायता करें - जो मैं समझ सकी हूँ वह ठीक है या नहीं , द्विवेदी जी ने अपने निबंध में और क्या-क्या कहने का प्रयत्न किया है , ललित-निबंध वास्तव में क्या होता है । साहित्य के विषय में जानने का इससे अच्छा स्थान नहीं हो सकता । आप सबों को मेरा सादर प्रणाम ।
जवाब देंहटाएंदिसम्बर पर बहुत सुन्दर और भावपूर्ण रचनाओं से सजी भूमिका के साथ एक सार्थक और भावपूर्ण प्रस्तुति प्रिय श्वेता।समर्थ लोगों के लिए ये माह वरदान है और अपनी रईसी के दिखावे का सुअवसर हैतो वहीं विपन्नता सर्दी से दो-दो हाथ करती गर्मी के लिए प्रतीक्षारत रहती है।सभी रचनाएँ पठनीय हैं।हजारीप्रसाद द्विवेदी जी का अनमोल निबंध पढवाने के लिये आभार।शेष सम्मिलित रचनाओं के रचियताओं को सस्नेह बधाई और शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंसादर धन्यवाद मेरी रचना के चयन हेतु | अन्य लिंक्स भी मौसम के अनुरूप!!❤
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