हाज़िर हूँ...! पुनः उपस्थिति दर्ज हो...
जब किसी यौगिक शब्द शब्द से किसी रूढ़ अथवा विशेष अर्थ का बोध होता है अथवा जो शब्द यौगिक संज्ञा के समान लगे किन्तु जिन शब्दोँ के मेल से वह बना है उनके अर्थ का बोध न कराकर, किसी दूसरे ही विशेष अर्थ का बोध कराये तो उसे योगरूढ़ कहते हैँ।
आप भुलाकर देखो, हम फिर भी याद आएंगे,
आपके चाहने वालों में,
आपको हम ही नज़र आएंगे,
आप पानी पी-पी के थक जाओगे,
पर हम हिचकी बनकर याद आएंगे.
देखती रह गयी तलवारें सब, बिछड़ते वक्त..
उनके लफ्जों का वार इतना कमाल का था।
कहीं यादों का मुकाबला हो तो बताना जनाब..
हमारे पास भी किसी की यादें बेहिसाब होती जा रही हैं।
एक ही हादसा तो है और वो यह के आज तक
बात नहीं कही गई बात नहीं सुनी गई
बाद भी तेरे जान-ए-जां दिल में रहा अजब समाँ
याद रही तेरी यां फिर तेरी याद भी गई
दिल की हर बात कहना कोई जरूरी नही,
अपने लबों पर खामोशी सजाए रखिये|
तनहा न रहोगे इस दुनिया में कभी भी
यार न सही, एक दुश्मन बनाए रखिये|
सादर नमन
जवाब देंहटाएंयार न सही, एक दुश्मन बनाए रखिये|
सदा की तरह एक और सदाबहार प्रस्तुति
आभार
सादर
कविताई अंदाज में शब्द, योगरूढ़ और यादों का बहुत सुन्दर संगम देखने को मिला हलचल प्रस्तुति में, धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसुना है तुम ज़िद्दी बहुत हो,
जवाब देंहटाएंमुझे भी अपनी जिद्द बना लो।//
तुझे बर्बाद कर दूंगी, अभी भी लौट जा वापिस,
मोहब्बत नाम है मेरा, मुझे कातिल भी कहते हैं।//
यादों के बिना सृजन की हर विधा अधूरी रहती!
मीर गालिब और फैज को किसी की यादों ने शायर बना दिया तो घनश्याम की याद ने महलों की रानी को उसकी जोगन बना दिया।कितने अमर गीत यादों के बीहड़ वनों से गुंजित हो संसार के दिल तक पहुँचे।एक नायाब प्रस्तुति जो दिल में उतर गयी।कोटि आभार आपका इस सार्थक और भावपूर्ण लिंक सयोजन के लिए 🙏❤
याद तुम्हारी
जवाब देंहटाएंhttps://renuskshitij.blogspot.com/2019/05/blog-post_40.html
फिर चोट खाई दिल ने
https://renuskshitij.blogspot.com/2017/12/blog-post_7.html
जब तुम ना पास थे
https://renuskshitij.blogspot.com/2018/12/blog-post.html
🙏🙏🙏🙏🙏
चलता रहूँगा मै पथ पर, चलने में माहिर बन जाउंगा,
जवाब देंहटाएंया तो मंज़िल मिल जायेगी, या मुसाफिर बन जाउंगा !
वाह!!!
बहुत सुन्दर यादें
लाजवाब प्रस्तुति।