हाज़िर हूँ...! पुनः उपस्थिति दर्ज हो...
हर सफल पंथी यही
विश्वास ले इस पर बढ़ा है,
तू इसी पर आज अपने
चित्त का अवधान कर ले।
पूर्व चलने के बटोही
बाट की पहचान कर ले।
यह बुरा है या की अच्छा
व्यर्थ दिन इस पर बिताना,
जब असंभव, छोड़ यह पथ
दूसरे पर पग बढ़ाना।
कहवाँ से अइला धनुर्धर बटोही,
अजईबा कहाँ कौन धाम,
हे बबुआ, आपन बता द तू नाम,
हे बबुआ, आपन बता द तू नाम,
केकरा के कुखिया में लीलहवा जनमवा,
राह पर चलते कई बटोही
वो मंजिल अपनी भटके हैं,
कभी राहें मंजिल बनती हैं,
कभी लगते घातक झटके हैं।
चौराहे पर खड़े बटोही
का अभिशाप बदल जायेगा
कितनी सदियों से घबराये
मौसम की दीवार ढह गयी
झंझावातों की फिसलन से
न साथ कभी चलाया राहगीर बने तब से,
जहां ने ऐसा सताया राहगीर बने तब से,
न करते हम जुरुरत राही बनने की कभी,
फरेब से दिल जलाया राहगीर बने तब से,
बिछाये कांटे हर राह और कहा साथ चलो,
जी दी,
जवाब देंहटाएंसुप्रभातम्।
बटोही...अति सुंदर और संदेशयुक्त,सकारात्मकता से भरपूर कविताओं का सुंदर अंक तैयार किया है आपने।
इन कविताओं को पढ़ते हुए -
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जीवन यात्रा के उपवन में
अनदेखा पल हर पल है
पथ के काँटों से डरना मत
दुर्वादल पग से मसलना मत
गिरि,वन,सरिता की बाधाओं से
विचलित होकर आघातों से
दिग्भ्रमित न होना पथिक सुनो।
प्रणाम दी
सादर स्नेह।
जी दी,इन रचनाओं को पढ़ते हुए बटोही शब्द पर रघुवीर सहाय का लिखा गीत याद आ गया जो बचपन से गुनगुनाया करते हैं-
हटाएंसुंदर सुभूमि भैया भारत के देसवा से
मोरे प्राण बसे हिम-खोह रे बटोहिया
एक द्वार घेरे रामा हिम-कोतवलवा से
तीन द्वार सिंधु घहरावे रे बटोहिया।
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*रघुवीर नारायण*
हटाएंप्रिय श्वेता जी, भारत की शान में लिखा ये गीत तो भोजपुरी भाषा का मस्तक ऊंचा करता है। बिहार के इस सपूत 🙏को नमन
हटाएंअविस्मरणीय अंक
जवाब देंहटाएंसदा की तरह
इसी अंक की एक रचना का अंश
आओ कुछ मनसायन कर लो
मन का ताप पिघल जायेगा
चौराहे पर खड़े बटोही
का अभिशाप बदल जायेगा
आभार
सादर नमन
हलचल का अनोखा अंदाज
जवाब देंहटाएंएक से बढ़कर एक बटोही
वाह!!!
इतने सारे प्ररेणा दायक और राह दिखाने वाले बटोहियों से मिलवाने के लिए हृदयतल से धन्यवाद दी 🙏
जवाब देंहटाएंपन्थी, बटोही, राही या पथिक के साथ अनेक किंवदंतियाँ जुड़ी है और अनगिन प्रेम कथाएँ।बहुत प्यारी रचनाएँ पढवाने के लिये आभार और प्रणाम प्रिय दीदी।देर से आने के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ 🙏🙏
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