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रविवार, 3 अप्रैल 2022

3352 ...नव वर्ष की शुभकामनाएँ

सादर अभिवादन.....
नव वर्ष की शुभकामनाएँ
आज भाई कुलदीप जी नहीं हैं
अपने कुल देवी माँ हाटेशवरी के मंदिर गए है
आज से नवरात्रि शुरु..
शायद माह रमज़ान भी प्रारंभ हो रहा है
आज की रचनाए कुछ यूँ है....




नव संवत्सर
हों स्वर मुखर
आशा के
प्रार्थना के
साहस के
सद्भाव के ।

श्रम के
फूल खिलें
स्वेद बिंदु बन
भाल पर ।




वैचारिक अंधापन जन में बढ़ा रहे साजिश करके
यही जहर है लोकतंत्र का इस पे चलो प्रहार करूँ

मर मर के जीने से अच्छा होश में जी के मर जाना
हाल सुमन जो अभी सामने क्यों न उसे सुधार करूँ




तुम्हारा आँचल ममता का साया उसका
जब तक  रहता उसके सर  पर
उसकी उम्र बढ़ जाती
जीवन में खुशियाँ आतीं |
प्यार दुलार तुम्हारा उस पर
जब होता  न्योछावर
गर्व का अनुभव उसके मन को होता  



प्रार्थना
छोटी सी
सुन लेना माता
बेटी की
अपनी

कृतज्ञ
रहेगी सदा
अगर मान लोगी
बेटी की
विनती !




कितने ही प्रकार से जीवन परीक्षा लेता
जीत सदा होती कब,कभी मिलती है हार।

दुखी कभी होना नहीं, छोड़ दें अवसाद को
परीक्षा को पर्व मान, करें सदैव सत्कार।।

आज बस

सादर 

9 टिप्‍पणियां:

  1. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुंदर लिंक संयोजन, यशोदा दी।

    जवाब देंहटाएं
  3. नव वर्ष की शुभकामनाएँ
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  4. नव वर्ष, नव संवत्सर, गुडी पडवा, उगादी, की आप सभीको हार्दिक शुभकामनाएं ! आज की हलचल में बहुत ही सुन्दर सूत्रों का संयोजन ! मेरी रचना को भी स्थान मिला आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार यशोदा जी ! सप्रेम वन्दे !

    जवाब देंहटाएं
  5. आज का आनंद प्रार्थना,माँ,परीक्षा को जोड़ने वाले जीवन सूत्रों का संकलन.
    जो अभी सामने क्यों न उसे सुधार करूं .....
    सबके प्रश्न भिन्न हैं , यही जीवन का सार.....

    इन सबके बीच स्थान देने के लिए धन्यवाद.
    नव संवत्सर शुभ हो.
    सबके लिए.
    हर मायने में.

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत ही शानदार सूत्रों का संकलन संयोजन।
    नव संवत्सर की हार्दिक बधाई 💐💐

    जवाब देंहटाएं

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