।।प्रातः वंदन ।।
"अंधेरे में किरण बन
पथ दिखाने कौन आया है?
तिमिर को भेद कर अब
जगमगाने कौन आया है?
बहुत लम्बी निशा बीती,
अंधेरी कालिमा वाली,
बहुत ही दूर लगती थी,
उषा वह लालिमा वाली,
मगर अब प्राची को अरुणिम
बनाने कौन आया है?"
उर्मिल सत्यभूषण
नज़र लग गयीं आजकल के मौसम और मिजाज़ को,इसलिए थोड़े संयम और समझदारी की जरूरत है। लीजिये स्वागत है बुधवारिय प्रस्तुति की...✍️
ये कैसी आवाजें है?
देखा नही
पर सुना है
किताबों में पढ़ा है
पहले शास्त्रार्थ हुआ करते थे
जीवन जीने के लिए
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अप्रतिम..
जवाब देंहटाएंमनभावन रचनाएं
सादर
उम्दा लिंक्स चयन
जवाब देंहटाएंसुंदर, सराहनीय रचनाओं से परिपूर्ण उत्कृष्ट अंक ।
जवाब देंहटाएंअच्छा अंक प्रेरणादायक रचनाएं
जवाब देंहटाएंSundar ank🌷
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