शीर्षक पंक्ति: आदरणीय सतीश सक्सेना जी की रचना से।
सादर अभिवादन।
गुरुवारीय अंक लेकर हाज़िर हूँ।
(चित्र गूगल से साभार)
शुभकामनाएँ ढेर सारीं!आज है
बैसाखी पर्व
भगवान महावीर जी की जयंती
संविधान निर्माता डॉ.भीमराव अंबेडकर साहब की जयंती।
आइए पढ़ते हैं पाँच पसंदीदा रचनाएँ-
अब सोच लिया कार्य में संलग्न हुई
तीव्र गति से कार्य संपन्न किया
गंतव्य तक पहुंचाया
जिस कार्य को अंजाम दिया |
पर यह आँखें मेरी,
संग नहीं दे रहीं
हँसते हँसते न जाने
छलक क्यों रहीं ?
आज बेटी चलीं,
अपना दर छोड़कर
घर नया चुन लिया अपना घर छोड़कर!
अंशुमान मेघों की अनेक परतों के पीछे
पंछी देर तक दुबके रहते हैं कोटरों में
चलते-चलते
कब उद्देश्य निरुद्देश्य से
लगने लगते हैं
और…कब…, सफ़र
अन्तिम पड़ाव पर
आ खड़ा होता है
भान ही नहीं होता
न जाने कितने घरों की अनकही कहानी - बुआजी
इसके बाद
मैंने एक बहुत बदतमीज़ी वाला सवाल पूछ लिया –
‘बुआ जी विधवा हैं तो वो
सिन्दूर क्यूँ लगाती हैं?’
‘किशन ने बेरुखी से जवाब दिया –
‘मुझको नहीं मालूम कि वो क्यूँ
सिन्दूर लगाती हैं. वैसे भी बड़ों की बातों में हम बच्चों को टांग नहीं अड़ानी
चाहिए. गोपेश ! तुमसे एक रिक्वेस्ट है, आगे से तुम बुआजी और दीदी के
बारे में मुझसे कोई सवाल मत पूछना.’
शुभकामनाएँ ढेर सारीं!
जवाब देंहटाएंआज है
बैसाखी पर्व
भगवान महावीर जी की जयंती
संविधान निर्माता डॉ.भीमराव अंबेडकर साहब की जयंती।
सुंदर अंक
आभार.
सादर
शुभकामनाओं के संग हार्दिक बधाई
जवाब देंहटाएंउम्दा लिंक्स चयन
बैसाखी पर्व , भगवान महावीर जी की जयंती और संविधान निर्माता डॉ.भीमराव अंबेडकर साहब की जयंती के अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएँ । मेरे सृजन को मंच पर साझा करने के लिए बहुत बहुत आभार । सादर…,
जवाब देंहटाएंसुप्रभात, आज के विशेष दिन की सभी को बधाई, सराहनीय रचनाओं के लिंक्स देता सुंदर अंक, आभार !
जवाब देंहटाएंNice link coleccion thanks
जवाब देंहटाएंओह बेहतरीन लिंक दिए हैं आपने , रचना पसंद आने के लिए आभार आपका !
जवाब देंहटाएंबेहतरीन लिंक! पहली बार सभी रचनाओं ने प्रतिक्रिया देने को मजबूर किया ! साधुवाद
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