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सोमवार, 18 अप्रैल 2022

3367...श्रद्धा भूल बैठे हैं हम, सुमन ही याद रह पायी...

शीर्षक पंक्ति: आदरणीय सुबोध सिन्हा जी की रचना से। 

सादर अभिवादन।

सोमवारीय अंक लेकर हाज़िर हूँ।

आइए अब आपको आज की पसंदीदा रचनाओं की ओर ले चलें-

धरती अंबर मिल लुटा रहे

देते रहना ही पाना  है

ख़ाली दामन ही  भरता है,

धरती अंबर मिल लुटा रहे

वहपरिग्रही पर  हँसता है!

एक लोकभाषा कविता-खेतवा में गाँव कै परानं

आपस में भी प्रेम नहीं

मेल-जोल गायब

केहू बा कलेक्टर

केहू भयल नायब

ना कउनो नौटंकी,कुश्ती

नहीं रामलीला

कूकर चढ़ल चूल्हवा

गुम भयल पतीला

बूढ़वन घटल

बहुत मान मोरे भइया।

चौपाई - जो समझ आयी .. बस यूँ ही...

आराध्यों को अपने-अपने यूँ तो श्रद्धा सुमन,

करने के लिए अर्पण ज्ञानियों ने थी बतलायी।

श्रद्धा भूल बैठे हैं हम, सुमन ही याद रह पायी,

सदियों से सुमनों की तभी तो है शामत आयी .. शायद...

रीता मन

रीता मन - रीते नयनभीगे-भीगे पल क्या लिखूँ

सूना आँगनसूना उपवनउल्लास प्रेम का क्या लिखूँ

वे सावन संग भीगे थे हमरुत वसंत झूमे थे संग

मकरंद प्रेम का बिखरा थाबूँदों में तनमन पिघला था

तुम संग सब मौसम बीतेपतझड़ का सूनापन क्या लिखूँ ?

कविता

जब प्रेम झडने लगता है कवि की कलम से

 नदी की  देह पर उतर आता है चाँद

 प्रेमिका का काजल बहता है इन्तजार में

 और कवि जीता है प्रेम की सोंधी सोंधी खुशबू को

 'दीघ-निकाय' में वर्णित एक नीति-कथा

उठाईगीरे ने भक्तिभाव से परिपूर्ण स्वर में बाबा पापाचार्य से पूछा –

भगवन ! छहों दिशाएँ मुझे क्या संकेत कर रही हैं?’

बाबा पापाचार्य ने उत्तर दिया –

छहों दिशाएँ चीख-चीख कर कह रही हैं कि तू वह हीरो का हार हमारे चरणों में अर्पित कर दे.

वैसे भी हमारे गुप्त सीसी टीवी में तेरी हर हरक़त क़ैद हो चुकी हैहमारे इशारे पर ही सब-इंस्पेक्टर रिश्वत सिंह हमारी देखरेख में तुझे छोड़ कर यहाँ से चुपचाप विदा हुआ है.’

उठाईगीरे ने वह हीरों का हार बाबा जी के चरणों में चढाते हुए उन से पूछा –

प्रभो ! आशीर्वाद के रूप में मुझे क्या मिलेगा?’

बाबा जी ने मुस्कुरा कर कहा -

चोर बाज़ार में ये हार हम बिकवाएँगेकई जौहरियों से हमारे कॉन्टेक्ट्स हैं.

सौदे का आधा माल हम रक्खेंगे,

चौथाई माल दरोगा रिश्वत सिंह और उसके साथी पुलिसिये रक्खेंगे

और बाक़ी बचा चौथाई माल तुझको मिल जाएगा.

********

फिर मिलेंगे। 

रवीन्द्र सिंह यादव  


7 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात भाई रवींद्र जी।सभी लिंक्स बेहतरीन।हार्दिक आभार

    जवाब देंहटाएं
  2. सुप्रभात, सराहनीय रचनाओं के लिंक्स से सज्जित सुंदर अंक, आभार!

    जवाब देंहटाएं
  3. बेहतरीन लिंक्स से सजी उत्कृष्ट प्रस्तुति ।

    जवाब देंहटाएं
  4. धन्यवाद सर मेरी रचना को स्थान देने के लिए
    सुंदर संकलन

    जवाब देंहटाएं
  5. जी ! नमन संग आभार आपका .. मेरी बतकही को अपने मंच की बहुरंगी प्रस्तुति में स्थान देने के लिए और उस बतकही के एक अंश को शीर्षक बनाने के लिए भी ...

    जवाब देंहटाएं

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